20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जीवन-स्तर भी तो बढ़े

धन तो बढ़ रहा है, पर क्या इस बढ़वार के साथ जीवन की बेहतरी के लिए जरूरी परिवेश का भी निर्माण हो रहा है? यह चेतावनी अक्सर सुनायी देती है कि भौतिक समृद्धि को लक्ष्य बना कर चलनेवाला आर्थिक विकास का मॉडल मनुष्य को लगातार उसकी प्रकृति से अलग कर रहा है और इस अलगाव […]

धन तो बढ़ रहा है, पर क्या इस बढ़वार के साथ जीवन की बेहतरी के लिए जरूरी परिवेश का भी निर्माण हो रहा है? यह चेतावनी अक्सर सुनायी देती है कि भौतिक समृद्धि को लक्ष्य बना कर चलनेवाला आर्थिक विकास का मॉडल मनुष्य को लगातार उसकी प्रकृति से अलग कर रहा है और इस अलगाव का नतीजा कभी महामारी के रूप में सामने आता है, तो कभी प्राकृतिक आपदा के रूप में. न्यू वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, देश में बीते दिसंबर महीने में करोड़पतियों की संख्या 2 लाख 64 हजार तक जा पहुंची है और अरबपतियों की तादाद भी सैकड़ा (कुल 95) पार करनेवाली है. भारतीय लोगों के हाथ में अब कुल 6.2 ट्रिलियन डॉलर की संपदा है.
अफसोस की बात है कि यह धन उन हालात का निर्माण करने में सहायक नहीं हो सका है, जिसके भीतर जीवन अपनी संभावनाओं को उनके महत्तम अर्थों में साकार कर सके. कई शोध-निष्कर्षों से यह बात सामने आती है कि देश के सबसे ज्यादा धनी शहरों में भी मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा और सुरक्षा आदि का ढांचा बेहद लचर हालत में है. दिल्ली में करोड़पतियों की संख्या 23 हजार है, तो 18 अरबपति हैं.
कुल धन-संपदा 450 अरब डॉलर की है. इस समृद्धि के बावजूद दिल्ली में स्वास्थ्यकर परिवेश किस दशा में है? एन्वायर्नमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च जरनल के मुताबिक 2015 में दिल्ली में वायु प्रदूषणजनित रोगों से 48 हजार लोगों की मौत हुई और एक लाख से ज्यादा लोग संबंधित बीमारियों के कारण अस्पताल में भरती हुए. सिर्फ वायु-प्रदूषण के कारण बड़े शहरों में 1995 से 2015 के बीच औसत आयु से पूर्व मौत के मामलों में ढाई गुना का इजाफा हुआ है.
साल 1995 में ऐसी मौतों की संख्या 19,716 थी, जो 2015 में बढ़ कर 48,651 हो गयी है. गर्मी के दिनों में दिल्ली के अनेक इलाके स्वच्छ पानी के लिए तरसते हैं. महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मामले में दिल्ली का रिकाॅर्ड ऐसा नहीं है कि इस शहर का वासी कभी निशंक हो सके. दिल्ली पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2016 में हर 12 घंटे में कम-से-कम एक बलात्कार का अपराध घटित हुआ था.
पिछले दो सालों में हर घंटे औसतन एक बच्चा अपराध का शिकार होता रहा है. देश के सबसे धनी शहर मुंबई में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की संख्या में 2014 की तुलना में 2015 में 53 फीसदी की वृद्धि हुई थी. जब तक हम जीवन जीने लायक परिस्थितियों का निर्माण नहीं करते, तब तक एक महान राष्ट्र बनने का हमारा सपना अधूरा रहेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें