धांधली की इंतेहा

शिक्षा और नौकरियों से जुड़ा शायद ही कोई ऐसा संस्थान देश में है, जहां प्रश्न-पत्रों के लीक होने या चयन में फर्जीवाड़े का मामला सामने नहीं आया हो. बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष और सचिव समेत अनेक लोगों की गिरफ्तारी की खबरों के बाद अब सेना की नौकरियों से जुड़े प्रश्न-पत्रों के लीक होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2017 6:32 AM
शिक्षा और नौकरियों से जुड़ा शायद ही कोई ऐसा संस्थान देश में है, जहां प्रश्न-पत्रों के लीक होने या चयन में फर्जीवाड़े का मामला सामने नहीं आया हो. बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष और सचिव समेत अनेक लोगों की गिरफ्तारी की खबरों के बाद अब सेना की नौकरियों से जुड़े प्रश्न-पत्रों के लीक होने का समाचार सुर्खियों में है. लंबे समय से चल रही मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की जांच में भी नयी-नयी बातें सामने आती रही हैं.
इस मसले से जुड़े अनेक संदिग्धों, आरोपितों और गवाहों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत के कारणों पर भी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है. हर साल इंजीनियरिंग और मेडिकल की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें भी आम हैं. ऐसे प्रकरणों में शीर्षस्थ अधिकारियों और राजनेताओं की मिली-भगत से यह तथ्य रेखांकित होता है कि परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेवार संस्थाएं व्यापक रूप से संगठित माफिया के चंगुल में फंसी हैं, जिनके तार देश के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय बिचौलियों से हैं. परचे लीक होने से जहां मेहनती छात्रों और अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय होता है, वहीं आपराधिक कृत्यों के जरिये सफल हुए लोग देश के भविष्य का नुकसान करते हैं.
इंजीनियरिंग और मेडिकल पास युवाओं की गुणवत्ता और रोजगार के लायक क्षमता पर निरंतर सवाल उठते रहते हैं. बढ़ती आबादी के हिसाब से समुचित रोजगार के अवसरों की कमी के कारण सरकारी नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा सघन हो रही है. ऐसे में परीक्षाओं में हो रही धांधली रोकने के लिए ठोस प्रयास जरूरी है. आम तौर पर जांच में खामियों के कारण अपराधी बच निकलते हैं. न्यायिक प्रक्रिया में देरी का फायदा भी आरोपितों को मिलता है.
समय आ गया है कि ऐसे फर्जी मामलों की जांच में अपराधियों के संजाल का परदाफाश किया जाये. विभिन्न राज्यों की पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो परस्पर सहयोग से इसे अंजाम दे सकते हैं. अपराध को रोकने के लिए निगरानी और सतर्कता बरतने की भी बड़ी जरूरत है. शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सक्रिय माफिया बिना राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के अपना काम नहीं कर सकता है. देश के भविष्य-निर्माण की अगुवाई कर रहे राजनेताओं को आत्ममंथन करना चाहिए. इस कड़ी में व्हिसिल ब्लोअरों की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है, जो अपनी जान-माल की परवाह किये बिना अपराधों से जुड़ी सूचनाएं सामने लाते हैं. सुधार के प्रयास में समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है.
रिश्वत देकर अपने बच्चों को बेहतरी का सपना पाल रहे अभिभावकों को ऐसी गलतियों से परहेज करना चाहिए. यदि सरकारें और समाज विकास और समृद्धि को लेकर सही मायने में गंभीर हैं, तो उन्हें देश के कल के साथ खिलवाड़ कर रहे धांधलीबाज माफिया को जड़ से उखाड़ने की जुगत लगानी होगी.

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