आधार संख्या के जरिये सामाजिक सहायता और सेवाओं को सुलभ, सुगम और सुरक्षित बनाने की कोशिशें जोरों पर हैं. सरकार ने कई दफे कहा है कि इस संख्या के इस्तेमाल के कारण हजारों करोड़ रुपयों की बचत हुई है तथा फर्जीवाड़े और धांधली पर रोक लगाने के साथ व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में मदद मिली है. आधार परियोजना पर सवाल उठानेवाले लोग और समूह शुरू से ही यह शंका जता रहे हैं कि आधार संख्या और संबद्ध व्यक्तिगत सूचनाओं का दुरुपयोग हो सकता है.
इसकी उपयोगिता और अनिवार्य बनाने के पक्ष-विपक्ष में कई तर्क दिये जा सकते हैं और लंबी बहस की जा सकती है, परंतु इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि आधार का बेजा इस्तेमाल नहीं होना चाहिए और इसे सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास किये जाने चाहिए. इस लिहाज से सूचनाओं के हैक होने की खबरें बेहद चिंताजनक हैं. आधार परियोजना को संचालित करनेवाले प्राधिकरण ने निजी क्षेत्र के एक बैंक के लिए सेवाएं मुहैया करानेवाले एक डिजिटल प्लेटफाॅर्म के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया है कि इसके द्वारा आधार संख्या से जुड़े आंकड़े गैरकानूनी ढंग से इकठ्ठा कर उसका इस्तेमाल वह व्यक्तियों के सत्यापन में कर रहा है. ऐसा करने की वैधानिक अनुमति नहीं है. प्राधिकरण को अवैध ढंग से आधार सेवा प्रदान करने वाली 12 वेबसाइटों और गूगल प्लेस्टोर पर मौजूद 12 मोबाइल एप को बंद कराना पड़ा है.
ये तथ्य दो बातों की तरफ इशारा करते हैं. एक तो यह कि इन घटनाओं से आधार के गलत इस्तेमाल की आशंकाएं तेज हुई हैं, और दूसरे, प्राधिकरण का यह कहना लोगों के संतोष के लिए काफी नहीं है कि दुरुपयोग को दंडित करने के प्रावधान मौजूद हैं. अब यह जरूरी हो गया है कि आधार से संबंधित प्रक्रिया और आंकड़ों की हमारी लचर ढांचागत तैयारी को तुरंत दुरुस्त किया जाये. ऐसा नहीं किया गया, तो एक बड़े फर्जीवाड़े की राह खुल जायेगी जो डिजिटल सेवाओं और वित्तीय लेन-देन की गति को बाधित कर सकती है. पिछले साल बड़ी संख्या में एटीएम मशीनों को हैक किया गया था.
सरकारी और निजी क्षेत्र की वेबसाइटों पर हमलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब, जब आधार संख्या के माध्यम से विभिन्न सेवाओं को पाना आसान होता जा रहा है, तब आंकड़ों और सूचनाओं को गलत हाथों में पड़ने से बचाना बहुत आवश्यक हो गया है. डिजिटल डाटाबेस में सेंध व्यक्ति के नागरिक अधिकारों पर चोट तो है ही, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी घातक है.