हम सोच बदलें, सच्चाई बदलेगी
भारत विश्वगुरु था. महज इसलिए नहीं कि ये वेद और पुराणों का रचयिता व सत्य-अहिंसा का प्रणेता था, बल्कि इसलिए भी कि इसने सृष्टि के दोनों धुरियों व प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ कृतियों शिव और शक्ति में से शिव को शक्ति में समाहित अर्थात शक्ति को श्रेष्ठ मानकर प्रतीकात्मक रूप में शिवलिंग की पूजा की. इतना […]
भारत विश्वगुरु था. महज इसलिए नहीं कि ये वेद और पुराणों का रचयिता व सत्य-अहिंसा का प्रणेता था, बल्कि इसलिए भी कि इसने सृष्टि के दोनों धुरियों व प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ कृतियों शिव और शक्ति में से शिव को शक्ति में समाहित अर्थात शक्ति को श्रेष्ठ मानकर प्रतीकात्मक रूप में शिवलिंग की पूजा की. इतना ही नहीं, नामांकन व नामोच्चारण में भी शक्ति को प्राथमिकता दी गयी, यथा सीता-राम, राधे-श्याम आदि-आदि. शास्त्रों में भी यही कहा गया है कि यत्र नारी पूज्यते, रमन्ते तत्र देवताः. बदलते युग के साथ स्वयं में बदलाव जरूरी है, शर्त यह है कि बदलाव सकारात्मक, विकासोन्मुखी एवं व्यक्तित्ववर्धक हो.
समाजग्राही हो. क्या आज के परिप्रेक्ष्य में भारतीय परिधानों वाली प्रियंका गांधी, सुषमा स्वराज, तस्लीमा नसरीन, मेनका गांधी, किरण बेदी और वृंदा करात जैसी प्रतिनिधि महिलाएं कमतर आधुनिका हैं? हम सोच बदलें, सच्चाई बदलेगी.
सुरजीत झा, गोड्डा