संस्कारी शिक्षा से दूर होते बच्चे

आधुनिकता के इस युग में समय की रफ्तार काफी तेज है, इस रफ्तार को पकड़ने के लिए हम काफी कुछ उसी रफ्तार से पीछे छोड़ रहे हैं. उनमें प्रमुख है हमारे बच्चों के संस्कार की शिक्षा. जो प्रमुख चिंता का विषय है. संस्कार मानव जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु है, जो न केवल उसके मानवता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2017 6:08 AM
आधुनिकता के इस युग में समय की रफ्तार काफी तेज है, इस रफ्तार को पकड़ने के लिए हम काफी कुछ उसी रफ्तार से पीछे छोड़ रहे हैं. उनमें प्रमुख है हमारे बच्चों के संस्कार की शिक्षा. जो प्रमुख चिंता का विषय है. संस्कार मानव जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु है, जो न केवल उसके मानवता को अलंकृत करता है, बल्की समाज में सम्मान दिलाता है.
वर्तमान स्थिति यह है कि बच्चे अच्छे विद्यालयों, संस्थानों में अध्ययनरत हैं, लेकिन उनमें संस्कार और भावनात्मक व्यवहार की कमी है. इस कमी को दूर करने के लिए उनके पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा और धार्मिक विचारों को प्रभावी ढंग से शामिल करने की आवश्यकता है, जिससे यह समस्या चुनौती का रूप न ले सके.
गदाधर महतो, कुड़ियामु, रांची

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