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देश डिजिटल बने

डिजिटल बनने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आम आदमी के पैसे की लूट हों. और महीने भर की उबा देने वाली कष्टदायी प्रकिया के बाद जब तब सामान्य होता नजर आने लगा कि बैंकों दारा अधिकतम ट्रांसक्शन की सीमा तय कर दी गयी और अब आरबीआई ऑनलाइन लेनदेन पर लगने वाले एमडीआर शुल्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 15, 2017 6:04 AM

डिजिटल बनने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आम आदमी के पैसे की लूट हों. और महीने भर की उबा देने वाली कष्टदायी प्रकिया के बाद जब तब सामान्य होता नजर आने लगा कि बैंकों दारा अधिकतम ट्रांसक्शन की सीमा तय कर दी गयी और अब आरबीआई ऑनलाइन लेनदेन पर लगने वाले एमडीआर शुल्क को बंढ़ाने की तैयारी में है.

आरबीआई और सरकार के इस तानाशाही कदम पर भी व्यापक बहस आवश्यक है. हर आदेश का अंध-अनुसरण अंततः आम जनता लिए कष्टदायी सिद्ध होने वाला है. और हमारे देश में कहीं ऐसा न हो जाये कि कैशलेस सिर्फ लेन-देन की लूट का जरिया ही रह जाये.

शिव भगवान सहारण, रांची

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