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छद्म राष्ट्रवाद का खतरा
10 मार्च को संपादकीय पेज पर ‘यह जो मर्दाना राष्ट्रवाद है’ लेख में वरिष्ठ पत्रकार नासिरुद्दीन ने गुरमेहर कौर के बहाने तथाकथित राष्ट्रवाद की पोल खोलकर रख दिया है. देश की आधी आबादी और मुसलिमों के खिलाफ सत्ता वर्ग की जो नीति है, वह अत्यंत चिंताजनक और प्रतिगामी है. देश के विश्वविद्यालयों के स्वतंत्र चिंतन […]
10 मार्च को संपादकीय पेज पर ‘यह जो मर्दाना राष्ट्रवाद है’ लेख में वरिष्ठ पत्रकार नासिरुद्दीन ने गुरमेहर कौर के बहाने तथाकथित राष्ट्रवाद की पोल खोलकर रख दिया है. देश की आधी आबादी और मुसलिमों के खिलाफ सत्ता वर्ग की जो नीति है, वह अत्यंत चिंताजनक और प्रतिगामी है.
देश के विश्वविद्यालयों के स्वतंत्र चिंतन को विमर्श के बजाय जिस ढंग से बल के द्वारा नियंत्रित किया जा रहा हैं, वह आनेवाले समय में देश की बहुलतावादी संस्कृति को नष्ट करने वाली है. कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों की मुसलिम तुष्टिकरण की नीति की यदि आलोचना होती है, तो हिंदू वोटों की ध्रुवीकरण की राजनीति की भी आलोचना की जानी चाहिए. छद्म-धर्मनिरपेक्षता का मुकाबला, धर्मनिरपेक्षता से की जानी चाहिए, ना कि छद्म हिन्दू -राष्ट्रवाद से. देश को तथाकथित छद्म राष्ट्रवाद की ओर धकेलना शुभ संकेत नहीं है. वह भविष्य में अंधी सुरंग साबित होगी.
राज्यवर्द्धन,कोलकाता
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