रमेश ठाकुर
वरिष्ठ पत्रकार
किन्नर समुदाय वर्षों से अपने लिए समाज से बराबरी के हक की लड़ाई लड़ता आ रहा है. पर, आज तक किसी ने भी इनकी लड़ाई में साथ नहीं दिया. लेकिन, उनके लिए एक अच्छी खबर है. दिल्ली में किन्नरों के लिए पहली मॉडलिंग एजेंसी की शुरुआत हुई है. किन्नरों के लिए पहली मॉडलिंग एजेंसी खोलनेवाली रूद्राणी छेत्री की पहल को दुनियाभर में सराहा जा रहा है. रूद्राणी मानती हैं कि किन्नरों को सरकारी व कॉरपोरेट हाउस से सहयोग की दरकार है.
किन्नरों को आईने के सामने सजना-संवरना अच्छा लगता है, इसलिए अगर यही उनका प्रोफेशन बन जाये तो कितना अच्छा हो. किन्नरों पर हाल ही में किया गया एक सर्वे बताता है कि अब किन्नर रोड पर भीख मांगने से हिचकते हैं. पहले किसी की शादी होने पर या घर में बच्चा होने पर दूसरे दिन ही किन्नर अपनी टोली के साथ वहां पहुंच जाते थे. लेकिन, अब इस रिवाज में भी काफी बदलाव आ चुका है. दरअसल, मौजूदा समय के ज्यादातर किन्नर शिक्षित हैं. यह अच्छी बात है कि अब इनके प्रति लोगों की सामाजिक सोच भी बदल रही है.
अब वे हर क्षेत्र में मसलन, राजनीति, मॉडलिंग, फिल्म, व्यवसाय आदि में ईमानदारी के साथ अपना रोल निभा रहे हैं. केरल में एक किन्नर अपना स्कूल संचालित कर सैकड़ों बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की लौ जला रहा है.
किन्नरों को जीवन में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. अपनी पहचान बनाने के लिए उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है. मॉडलिंग का क्षेत्र पुरुष या महिलाओं के लिए ही होता था. इसमें थर्ड जेंडर को मान्यता नहीं मिली थी, लेकिन यह मॉडलिंग एजेंसी किन्नरों को भी नयी पहचान दिलायेगी. अगर उनके हुनर को भी निखारा जाये, तो उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में काफी सुधार हो सकता है.
मॉडलिंग एजेंसी का लक्ष्य शीर्ष के पांच किन्नर मॉडलों का चुनाव कर उन्हें मुख्यधारा में लाना है. एजेंसी से मशहूर फैशन स्टाइलिस्ट और फोटोग्राफर ऋषि राज भी जुड़े हैं, जो किन्नर मॉडलों को प्रमुख फैशन पत्रिकाओं में काम दिलवायेंगे, जिससे इन्हें नयी पहचान मिलेगी. दिल्ली के बाद पूरे भारत में ऑडिशन आयोजित किये जायेंगे. एजेंसी का प्रयास है कि किन्नरों को अपनी सुंदरता दिखाने का मौका मिले. सरकार भी कई विज्ञापन फिल्में बनाती है. बेहतर हो सरकार इनमें भी किन्नरों को मौका दे. टीवी और विज्ञापनों में आने से यकीनन किन्नरों के जीवन स्तर में सुधार आयेगा. अक्सर देखने में आता है कि फिल्मों में किन्नरों का रोल कोई पुरुष अभिनेता ही करता है.
कोर्ट से भले ही ट्रांसजेंडरों को थर्ड जेंडर की मान्यता मिल गयी हो, बावजूद इसके किन्नरों के लिए समाज के कई दरवाजे बंद हैं. ऐसे में जब मॉडलिंग और सिनेमा में किन्नरों को पहचान मिलेगी, तो समाज में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा. काॅरपोरेट कंपनियां अगर उनके विकास के लिए कदम बढ़ायेंगी, तो निश्चित तौर पर किन्नर समुदाय को नयी ऊंचाइयां मिलेगी. वहीं, ब्यूटी प्रोडक्ट बनानेवाली कंपनियां अगर अपने विज्ञापन में किन्नरों को मौका देंगी, तो यह एक नयी पहल होगी.
यह बात सच है कि थर्ड जेंडर को लेकर समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है. एक उम्मीद भी है कि अब बॉलीवुड में जल्द ही ट्रांसजेंडर्स नजर आ सकते हैं. फिल्म निर्देशक बोनी कपूर की एक आनेवाली फिल्म के लिए इसी एजेंसी से दो ट्रांसजेंडरों के नाम मांगे गये हैं. यह एक अच्छा संकेत है. अगर बॉलीवुड में ट्रांसजेंडर अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं, तो यकीनन आनेवाले वक्त में देश में किन्नरों को लेकर फिल्म बनाने की धारणा में भी परिवर्तन आयेगा.