उग्रवादियों के माथे पर कलंक
हाल ही में छतीसगढ़ के सुकमा में 11 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गये. जिस हाथों में मेहंदी रची थी, उन्हीं हाथों ने मंगल सूत्र उतारा है. यह सब सोच कर नक्सलियों का दिल नहीं पसीजता. नक्सली अपने माथे पर कलंक ले भी रहे हैं, तो उस वीर जवानों की शहादत का जिसके साये में […]
हाल ही में छतीसगढ़ के सुकमा में 11 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गये. जिस हाथों में मेहंदी रची थी, उन्हीं हाथों ने मंगल सूत्र उतारा है. यह सब सोच कर नक्सलियों का दिल नहीं पसीजता.
नक्सली अपने माथे पर कलंक ले भी रहे हैं, तो उस वीर जवानों की शहादत का जिसके साये में ये बाहरी शक्तियों से महफूज हैं. नक्सलियों को यदि कोई शिकायत है, तो उसके लिए न्यायालय है. हिंसा-आतंक से अपनी समस्या का हल ढूंढ़ना कोई विकल्प नहीं. भारत में विकास अवरुद्ध होने के अनेक कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण ये उग्रवादी हैं, ऐसा कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. उग्रवादी अपने ही भाइयों की हत्या कर देश और खुद को कमजोर बना रहे हैं.
खालिक अंसारी, कैरो, लोहरदगा