छोटा ही सही पर कोशिश तो करें
विश्व जल दिवस हर वर्ष आता है और नये संदेशों के साथ समाप्त हो जाता है. हम सब घटते हुए जल स्तर के दुष्परिणामों को अच्छी तरह से जानते हैं, पर फिर भी हम जल साक्षर नहीं बन पाये हैं. हर वर्ष गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत आम है, पर फिर भी हम […]
विश्व जल दिवस हर वर्ष आता है और नये संदेशों के साथ समाप्त हो जाता है. हम सब घटते हुए जल स्तर के दुष्परिणामों को अच्छी तरह से जानते हैं, पर फिर भी हम जल साक्षर नहीं बन पाये हैं.
हर वर्ष गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत आम है, पर फिर भी हम सबक नहीं लेते. हर वर्ष भारत में प्रति व्यक्ति पानी की खपत बढ़ती जा रही है, जो 20 वर्ष में दोगुनी हो जायेगी. पानी का स्तर घट रहा है, परंतु उपभोग में निरंतर वृद्धि हो रही है. जरूरी हो गया है कि हम पानी के मामले में मितव्यी बने. अनावश्यक पानी की बरबादी से बचें, हर व्यक्ति यह कोशिश करे कि वह दिन में एक बाल्टी पानी बचाएगा, तो भी काफी है. प्रकृति का संरक्षण हम सब की जिम्मेदारी है. एक छोटी ही सही पर कोशिश तो करे.
डॉ शिल्पा जैन सुराणा, वरंगल, तेलगांना