राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध लगाते हैकर

सेना मुख्यालय और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के करीब 50 कंप्यूटरों के साथ हैकरों की छेड़छाड़ को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भले बहुत गंभीर न मानें, पर दिसंबर में हुई यह घटना बेहद चिंताजनक है. खबरों के अनुसार, इन कंप्यूटरों से गोपनीयता की दृष्टि से महत्वपूर्ण कम-से-कम 30 फाइलें हैक हुई हैं और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2014 4:03 AM

सेना मुख्यालय और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के करीब 50 कंप्यूटरों के साथ हैकरों की छेड़छाड़ को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भले बहुत गंभीर न मानें, पर दिसंबर में हुई यह घटना बेहद चिंताजनक है. खबरों के अनुसार, इन कंप्यूटरों से गोपनीयता की दृष्टि से महत्वपूर्ण कम-से-कम 30 फाइलें हैक हुई हैं और ऐसे जासूसी सॉफ्टवेयर पाये गये हैं जो इंटरनेट से न जुड़े होने के बावजूद दस्तावेजों को पढ़ने में सक्षम हैं.

पहले के कई साइबर हमलों की जांच में पाया गया है कि ऐसी कोशिशें चीनी हैकरों द्वारा की जाती हैं, जिन्हें चीनी सरकार और सेना का संरक्षण प्राप्त हो सकता है. कंप्यूटर क्राइम रिसर्च सेंटर ने कुछ मामलों में पाकिस्तानी तत्वों के हाथ होने की आशंका भी जतायी है. एडवर्ड स्नोडेन प्रकरण से सिद्ध हो चुका है कि अमेरिकी सरकार भी दुनियाभर में महत्वपूर्ण व्यक्तियों और ठिकानों के कंप्यूटरों पर नजर रखती है. कंप्यूटर तकनीक के विस्तार व नेटवर्किग के कारण न सिर्फ सरकार और संस्थाएं, बल्कि कई समूह व व्यक्ति भी ऐसे क्रियाकलापों को अंजाम देने में लगे हैं.

आर्थिक क्षमता और कूटनीतिक कौशल पर आधारित विश्व-व्यवस्था में सूचना सबसे महत्वपूर्ण घटक बन चुका है. इस कारण सूचनाओं की सुरक्षा और गोपनीयता बरकरार रखना किसी भी देश या संस्थान के लिए बड़ी चुनौती है. इसके मद्देनजर भारत सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति की घोषणा की थी, जिसमें सूचना के ढांचे की सुरक्षा, खतरों को कमतर करना, खतरों का सामना करने के लिए समुचित तंत्र विकसित करना और हमले की स्थिति में नुकसान को न्यूनतम रखना आदि लक्ष्य है. इसके लिए अगले पांच सालों में साइबर सुरक्षा के मोरचे पर पांच लाख लोगों को तैनात करने का फैसला लिया गया है,

लेकिन किसी भी नीति के प्रभावी होने के लिए उसे कारगर ढंग से लागू करने की जरूरत होती है. सरकार को ऐसी हैकिंग को हल्के में न लेकर साइबर सुरक्षा नीति को अभेद्य बनाने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही, पड़ोसी देशों से हो रही ऐसी नापाक हरकत के विरुद्ध भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाये और साइबर हमलों के विरुद्ध एक वैश्विक पहल का प्रयास करे. खतरों की अनदेखी का रवैया राष्ट्रीय हितों के लिहाज से बेहद खतरनाक है.

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