13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तिलेश्वर की हत्या से उपजे सवाल

झारखंड में आजसू नेता तिलेश्वर साहू की उग्रवादियों द्वारा हत्या के बाद प्रदेश के पुलिस-प्रशासन और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं. घटना ऐसे समय में हुई है, जब रांची में चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा व अन्य विषयों को लेकर बैठक चल रही थी. प्रशासन […]

झारखंड में आजसू नेता तिलेश्वर साहू की उग्रवादियों द्वारा हत्या के बाद प्रदेश के पुलिस-प्रशासन और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं. घटना ऐसे समय में हुई है, जब रांची में चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा व अन्य विषयों को लेकर बैठक चल रही थी.

प्रशासन को पहले भी कई बार सचेत किया गया है कि आजसू समेत कई दलों के नेता उग्रवादियों के निशाने पर हैं. मालूम हो कि इससे पूर्व कई नेता नक्सली हिंसा के शिकार हुए हैं. 2012 में झारखंड विकास मोरचा के नेता विजय मुंडू की पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी. जदयू नेता रमेश सिंह मुंडा, झामुमो नेता सुनील महतो की हत्या के बाद भी इसके निरोध के कोई कारगर उपाय नहीं किये गये.

लेकिन अब वक्त आ चुका है कि प्रशासनिक चूक व उग्रवाद पर नकेल डालने के पुख्ता इंतजाम किये जायें. अगर अब भी सरकार नहीं चेती, तो वह दिन दूर नहीं जब राजनीति के साथ-साथ प्रशासनिक फैसले भी किसी पीएलएफआइ जैसे उग्रवादी संगठन की मरजी से करने होंगे. दरअसल यह चेतावनी नहीं, चुनौती है. इसे हर हाल में स्वीकारना होगा. खास कर तिलेश्वर साहू की हत्या के मामले में कुछ अन्य आयाम भी हों, तो इनकी पड़ताल की जानी चाहिए. भले ही वह कोई उग्रवादी संगठन हो या व्यक्तिगत रंजिश.

किसी को बख्शा नहीं जाना चाहिए. पिछले कई मामलों की तरह ही इस मामले में भी सीबीआइ जांच की मांग उठने लगी है. लेकिन क्या बरसों-बरस जांच के नतीजे आते-आते इस बीच उग्रवादी हिंसा में मरनेवालों की फेहरिस्त लंबी नहीं हो जाती है? कामरेड महेंद्र सिंह का मामला लें, तो उग्रवादियों द्वारा उनकी हत्या के बाद से आज तक कई राजनेता इसकी भेंट चढ़े, लेकिन हुआ क्या? हम राज्य में कोई ऐसा सशक्त उग्रवाद निरोधक सरकारी दस्ता बनाने में विफल क्यों रहे? क्या हमें राज-काज चलाने के बारे में इतना भी नहीं पता कि व्यवस्था संचालन में इकबाल का होना आवश्यक है. बहरहाल, तिलेश्वर की हत्या की घटना की जितनी भी निंदा की जाये, कम है. राज्य में युवा मुख्यमंत्री सत्तासीन हैं. उन्हें चाहिए कि ठोस रणनीति बनायें, ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें