‘ एक दिन’ नारी की मंजिल नहीं

खुशनसीब हैं इस देश की महिलाएं, जो साल में एकाध दिन इनके नाम भी होता है. चाहे वह ‘वुमन’ हो, ‘मदर’ हो या ‘गर्लचाइल्ड’. जब महिलाओं की सुरक्षा-तरक्की की बात चलेगी, दामिनी का नाम जुबान पर आयेगा. आजकल एक शब्द ‘लड़की सप्लाई’ खबरों में प्रमुखता से उभरा है. यह भव्य रोशनी की काली परछाई है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2014 5:36 AM

खुशनसीब हैं इस देश की महिलाएं, जो साल में एकाध दिन इनके नाम भी होता है. चाहे वह ‘वुमन’ हो, ‘मदर’ हो या ‘गर्लचाइल्ड’. जब महिलाओं की सुरक्षा-तरक्की की बात चलेगी, दामिनी का नाम जुबान पर आयेगा.

आजकल एक शब्द ‘लड़की सप्लाई’ खबरों में प्रमुखता से उभरा है. यह भव्य रोशनी की काली परछाई है. सभ्य समाज लड़कियों को ‘सप्लाई’ के साथ जोड़ कर क्या कहना चाहता है? बलात्कार के खिलाफ कठोरतम कानून बनवाने में हम सफल रहे हैं.

अब इस सप्लाई उद्योग का क्या करेंगे. लड़का-लड़की की दोस्ती संभव है. ‘लिविंग टूगेदर’ को भी सामाजिक मान्यता मिल चुकी है. फिर सप्लाई की गुंजाइश कहां रहती है? फिर लड़कियों के लिए सप्लाई शब्द का इस्तेमाल क्यों है? ऐसे शब्दों को शब्दावली से तुरंत हटाने की व्यवस्था हो. नारी! ‘एक दिन’ आपकी मंजिल नहीं.

एमके मिश्र, रांची

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