आक्रामक हुड़दंगियों से सख्ती से निबटे सरकार
आशुतोष चतुर्वेदी अच्छा खासा खुशनुमा दिन था. आम दिन की तरह लोग अपने कामधंधों में व्यस्त थे. हनुमान जयंती के कारण मंदिरों में चहल-पहल कुछ ज्यादा थी. जहां तहां मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ सुनायी दे रहा था. रामनवमी सौहार्दपूर्ण तरीके से गुजर गयी थी, इसलिए प्रशासन और लोग आश्वस्त थे कि अब कोई […]
आशुतोष चतुर्वेदी
अच्छा खासा खुशनुमा दिन था. आम दिन की तरह लोग अपने कामधंधों में व्यस्त थे. हनुमान जयंती के कारण मंदिरों में चहल-पहल कुछ ज्यादा थी. जहां तहां मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ सुनायी दे रहा था.
रामनवमी सौहार्दपूर्ण तरीके से गुजर गयी थी, इसलिए प्रशासन और लोग आश्वस्त थे कि अब कोई संकट नहीं है. अचानक लगभग 50 हुड़दंगियों का झुंड मेन रोड पर प्रकट हुआ. बड़े बड़े डीजे के साथ हो-हल्ला करते हुए ये लोग मोटरसाइकिलों पर आगे बढ़ने लगे. इनके पास जुलूस की शक्ल में आगे बढ़ने की इजाजत नहीं थी. लेकिन, वे उत्तेजक नारों के साथ बिना किसी इजाजत के आगे बढ़ रहे थे. इसी दौरान एक झड़प ने चिंगारी का काम किया और टकराव शुरू हो गया.
इसके बाद तो रांची शहर को अफवाहों ने अपनी गिरफ्त में ले लिया, मरने-मारने से लेकर पूरे शहर में दंगे की अफवाहें फैल गयीं.
व्हाट्सएप ने इन अफवाहों को फैलाने में खासा योगदान दिया. स्कूलों से अभिभावकों को संदेश आने लगे कि बसें नहीं चलेंगी, अपने बच्चों को स्कूलों से ले जायें. लोग बदहवास से दफ्तरों और काम-धंधों को छोड़कर अपने-अपने बच्चों को लाने के लिए भागने लगे. दुकानों के शटर गिर गये, परिवहन व्यवस्था ठप सी हो गयी. चंद हुड़दंगियों के कारण पूरा शहर अस्तव्यस्त हो गया, सारे शहर में तनाव व्याप्त हो गया.
पिछले कुछ दिनों में चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, बरकट्ठा, हुसैनाबाद और बोकारो के ग्रामीण क्षेत्रों से छिटपुट सांप्रदायिक तनाव की खबरें आ रही हैं. इसी क्रम में राजधानी रांची की ये घटना है.
इन सब घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री को प्रशासन को सख्त संदेश देना होगा कि वह ऐसे हुड़दंगियों से सख्ती से निबटें. मुख्यमंत्री और उनकी प्रशासनिक टीम झारखंड की छवि निखारने की पूरी कोशिश कर रही है, ताकि राज्य में निवेश का माहौल बने. लेकिन, सांप्रदायिक हिंसा की एक बड़ी घटना, इन सारी कोशिशों पर एक झटके में पानी फेर सकती है.
यह सही है कि सरकार अपना काम करे, मुस्तैद रहे, लेकिन लोगों को भी अपना दायित्व निभाना होगा. शहर का अमन चैन बिगाड़ने वाले लोग किसी अन्य देश से नहीं आये हैं, वे रांची के ही नवयुवक हैं.
शहर के लोग अपना कर्तव्य निभाएं, उन्हें टोकें और आगाह करें कि वे माहौल न बिगाड़ें और अगर जरूरत पड़े तो उन्हें समाज से अलग-थलग भी करें. एक बात सभी को साफ होनी चाहिए कि धार्मिक विद्वेष से दुनिया में कहीं विकास संभव नहीं हुआ है. अगर आप चाहते हैं कि राज्य विकसित हो, आगे बढ़े, तो विद्वेष का माहौल खत्म करना होगा.