तमिलनाडु में रोचक घटनाक्रम
आर राजगोपालन राजनीतिक विश्लेषक लोकसभा के उपाध्यक्ष तथा एआइएडीएमके नेता थम्बीदुरई ने नयी दिल्ली के लिए सोमवार देर रात की उड़ान पकड़ी, जहां उन्होंने भाजपा में अपने निकटस्थ सूत्रों से बातचीत आरंभ की. मंगलवार की सुबह उन्होंने भाजपा के एक वरीय नेता के साथ भी एक गुपचुप बैठक की. यदि वे भाजपा नेतृत्व को एक […]
आर राजगोपालन
राजनीतिक विश्लेषक
लोकसभा के उपाध्यक्ष तथा एआइएडीएमके नेता थम्बीदुरई ने नयी दिल्ली के लिए सोमवार देर रात की उड़ान पकड़ी, जहां उन्होंने भाजपा में अपने निकटस्थ सूत्रों से बातचीत आरंभ की. मंगलवार की सुबह उन्होंने भाजपा के एक वरीय नेता के साथ भी एक गुपचुप बैठक की. यदि वे भाजपा नेतृत्व को एक ठोस प्रस्ताव सौंप सके, तो ऐसे आसार हैं कि इसके बदले वह उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत भी करा सकता है.
एआइएडीएमके की तीव्र इच्छा है कि केंद्र में एक काबीना, दो स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री, और लोकसभा उपाध्यक्ष के पद उसके पाले प्राप्त हों. यानी एआइएडीएमके के लिए केंद्र में चार जगहें बनानी होंगी. इसके अलावा, विदेश जानेवाले बहुत से प्रतिनिधिमंडलों में भी एआइएडीएमके के सांसदों को भाजपा खासी संख्या में जगह देगी ही. सितंबर में, जब संयुक्त राष्ट्र आम सभा का सत्र आरंभ होनेवाला है, तो भाजपा उसमें भेजे जानेवाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में एआइएडीएमके के चार सांसदों को शामिल करने पर सहमत हो रही है. लोकसभा में एआइएडीएमके के 39 सांसद तथा राज्यसभा में 12 सांसद हैं.
केंद्र सरकार के साथ बातचीत के काम में थम्बीदुरई एआइएडीएमके के वरिष्ठ नेता के तौर पर उभरे हैं. यदि इस सप्ताह के अंत तक शशिकला एवं पन्नीरसेल्वम के धड़ों का विलय हो जाता है, तो एआइएडीएमके के सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के साथ गंठबंधन की वार्ता शुरू होगी. संभावित फाॅर्मूला यह है कि एआइएडीएमके न केवल आगामी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करेगा, बल्कि 2019 के संसदीय चुनावों में उसे 10 संसदीय सीटें भी देगा. तब तक भाजपा पलानीसामी मंत्रिमंडल का समर्थन करेगी. एआइएडीएमके तथा भाजपा दोनों के लिए यह सौदा फायदेमंद होगा, क्योंकि एआइएडीएमके को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जगह मिल जायेगी और बदले में भाजपा को तमिलनाडु में अब तक की सबसे बड़ी संख्या में संसदीय सीटें हासिल होंगी. इस गंठबंधन के घटक एआइएडीएमके, भाजपा, पीएमके तथा वाइको एमडीएमके होंगे, जिसका मुकाबला करना डीएमके-कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.
थम्बीदुरई शशिकला धड़े से बाहर आनेवाले प्रमुख नेता हैं और अब उन्होंने टीटीवी दिनाकरन के विरुद्ध बोलना भी आरंभ कर दिया है. दोनों धड़ों में विलय की वार्ता इसलिए भी चल रही है कि कोई भी विधायक तमिलनाडु विधानसभा के लिए मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है और यही थम्बीदुरई की शक्ति का आधार है.
तमिलनाडु के गांवों और जिलों में शशिकला एवं दिनाकरन के विरुद्ध व्यापक तौर पर गुस्से की लहर है. वजह- शशिकला तथा उनके 22-25 परिजनों ने, जिन्हें ‘मन्नारगुडी माफिया’ के नाम से जाना जाता है, तमिलनाडु सरकार को लूटा और इस राज्य को पूरी तरह भ्रष्ट कर दिया है. यही नहीं, शशिकला पर यह भी आरोप है कि 70 दिनों तक जयललिता के अस्पताल में रहने के दौरान उन्होंने उनकी पूरी देखभाल नहीं की. ओ. पन्नीरसेल्वम ने जयललिता की मृत्यु की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है.
एआइएडीएमके एक काडर आधारित पार्टी है, तमिलनाडु के सभी गांवों, शहरों में जिसके कुल दो करोड़ से भी ज्यादा सदस्य हैं. मगर पिछले दस वर्षों से शशिकला परिवार ही पार्टी को नियंत्रित करता रहा. किसी भी बाहरी व्यक्ति को पार्टी में कद हासिल नहीं करने दिया गया. शशिकला जनता तथा पार्टी कार्यकर्ताओं को जयललिता से मिलने नहीं देती थीं. अपने आलोचकों को शांत करने की उनकी सामर्थ्य असाधारण थी.
यदि शशिकला एवं दिनाकरन को एआइएडीएमके से निकाल दिया जाये, तो पार्टी के दोनों धड़ों का विलय हो जायेगा.
विधानसभा के मध्यावधि चुनाव से बचने की जुगत में विधायक शशिकला को हटाने को तैयार हैं. अपने पीछे जयललिता का चित्र लगाये पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने पार्टी के दोनों धड़ों के बीच विलय वार्ता की शर्तें तय कर दी हैं, जिनमें से एक का नेतृत्व वे स्वयं, जबकि दूसरे का नेतृत्व मुख्यमंत्री पलानीसामी करते हैं. शशिकला या उनका परिवार इस तस्वीर में कहीं नहीं आता.
पन्नीरसेल्वम ने जेल भेजी गयीं पार्टी प्रमुख शशिकला और उनके भतीजे दिनाकरन पर ‘एक गलती के बाद दूसरी गलती करने’ का आरोप लगाते हुए कहा, ‘इस परिदृश्य में शशिकला के परिवार से कोई वार्ता नहीं हो सकती. पार्टी किसी एक परिवार के हाथ में नहीं रह सकती.’
कुछ ही घंटों में पन्नीरसेल्वम एवं मुख्यमंत्री, जिन्हें पलानीसामी के नेतृत्ववाले दोनों धड़े फिर से एकजुट होने की प्रक्रिया तय करने हेतु साथ बैठनेवाले हैं. शशिकला ने कुछ ही महीने पूर्व पन्नीरसेल्वम के साथ सत्ता संघर्ष में एक प्रकार की विजय हासिल कर पलानीसामी को मुख्यमंत्री बनाने तथा दिनाकरन को पार्टी में दूसरे नंबर पर बिठाने में सफलता हासिल की थी, पर विलय की इस वार्ता में वे असुविधाजनक स्थिति में हैं.
(अनुवाद : विजय नंदन)