मौकापरस्त लोगों को किनारे रखकर और दिल पर हाथ रखकर अगर सोचें, तो अपने देश में सभी धर्मं एक दूसरे में रच बस गये हैं. लोग अपना-अपना मजहब,अपनी-अपनी भाषा व संस्कृति में लोग पूरी आस्था के साथ जी रहे हैं, क्योंकि धर्म जीने की एक शैली है. जीने का आधार है. एक दूसरे के जीने के तरीके का सम्मान करने के लिए अगर थोड़ा सुधार करना पड़े, तो करना चाहिए.
सभी धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर के प्रयोग से धार्मिकता का प्रदर्शन कम और ध्वनि प्रदूषण अधिक होता है. लाउडस्पीकर के कर्कश आवाज से लोगों को अधिक धार्मिक नहीं बनाया जा सकता है. विशेष कार्यक्रमों में संयमित एवं नियंत्रित ध्वनि प्रसारण यंत्र का प्रयोग हो, तो सभी सुकून और शांति महसूस करेंगे.
राखी कुमारी चौरसिया, मधुपुर, देवघर