अपना देश तो हिंदुस्तान ही है

अगर कोई हिंदुस्तान जैसे देश में रहकर भी वह सिर्फ अपने मनतिक के लाठियों से देश को हांकना चाहता है, तो उसे संविधान में लिखी गयी इबारतों पर यकीन नहीं. वही संविधान जो धर्म का लिहाज और अनोखा हिंदुस्तानी होने का एहसास दिलाती है, चाहे अजान वाला ऐतराज हो या भजन व कीर्तन पर होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 21, 2017 1:19 AM
अगर कोई हिंदुस्तान जैसे देश में रहकर भी वह सिर्फ अपने मनतिक के लाठियों से देश को हांकना चाहता है, तो उसे संविधान में लिखी गयी इबारतों पर यकीन नहीं. वही संविधान जो धर्म का लिहाज और अनोखा हिंदुस्तानी होने का एहसास दिलाती है, चाहे अजान वाला ऐतराज हो या भजन व कीर्तन पर होने वाली आवाजों पर फतवे.
अगर कोई यहां इस बात का दावा करता है कि वह सच्चा हिंदुस्तान प्रेमी है, तो उसे इतिहास में मुस्कुराते शहीदों को याद करने की जरूरत है. उसे संविधान के पन्नों को पलटने की जरूरत है, क्योंकि यही वह देश है, जहां मजहब से बढ़कर इनसानियत है. होगा वह कोई और देश जहां सिर्फ अपने अकीदों को दूसरों के सर थोपा जाता होगा, मगर अपना देश तो हिंदुस्तान ही है.
शादाब इब्राहिमी, ब्रांबे, रांची

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