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कुपोषित बच्चे और सरकारें

कृष्णकांत पत्रकार संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि भारत में प्रतिवर्ष कुपोषण के कारण मरनेवाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. पूरे दक्षिण एशिया में कुपोषण के मामले में भारत सबसे खराब हालत में है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक, ‘विश्व की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2017 1:35 AM

कृष्णकांत

पत्रकार

संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि भारत में प्रतिवर्ष कुपोषण के कारण मरनेवाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. पूरे दक्षिण एशिया में कुपोषण के मामले में भारत सबसे खराब हालत में है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक, ‘विश्व की कुल कुपोषित आबादी की एक चौथाई जनसंख्या भारत में रहती है. हालांकि, भारत हाल के वर्षों में अनाज के उत्पादन मामले में आत्मनिर्भर हुआ है, तेजी से आर्थिक वृद्धि का आनंद ले रहा है. इसके बावजूद, उच्चस्तरीय गरीबी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण बना हुआ है. भारत की करीब 21.25 प्रतिशत आबादी प्रतिदिन 1.90 अमेरिकी डॉलर से कम पर गुजारा करती है और गैरबराबरी, सामाजिक वंचना का स्तर तो बहुत ही ऊंचा है.’

भारत में विश्व की 17.3 प्रतिशत आबादी रहती है, जबकि विश्व की कुल कुपोषित आबादी का 24.5 प्रतिशत भारत में रहती है. अल्प कुपोषित जनसंख्या भारत में काफी ऊंची है. 55.3 प्रतिशत भारतीय महिलाएं कुपोषित हैं. 118 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 97वां है.

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 18 साल की उम्र के बच्चों की संख्या करीब 45 करोड़ है. बच्चों के लिए काम करनेवाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राइ) के मुताबिक, स्कूल जाने की उम्र वाला हर चार में से एक बच्चा स्कूल से बाहर है. करीब 10 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जिन्हें स्कूलों में होना चाहिए. 100 में से सिर्फ 32 बच्चे स्कूली शिक्षा पूरी कर पाते हैं. देश में केवल दो प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जो क्लास एक से 12वीं तक की पूरी शिक्षा दे पाने की स्थिति में हैं. क्राइ के मुताबिक, बच्चों के स्वास्थ्य के मामले में भारत की हालत सबसे बदतर है. 54 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं.

पूरे देश में गोरक्षा जोरशोर से चल रही है, लेकिन इंसानी दुर्दशाओं की अनदेखी हैरान करनेवाली है. जिस देश में लाखों बच्चे हर साल भूख से मर जाते हों, उस देश में सरकारों का गोरक्षा ​अभियान में जुट जाना और गुंडों द्वारा पीट कर लोगों की हत्या करना बहुत भयावह है. उत्तर प्रदेश में सरकार आने के बाद तुरंत बूचड़खानों के खिलाफ अभियान शुरू हुआ.

पूरे प्रदेश को शाकाहारी बनाने पर तुली योगी सरकार के लिए यह राष्ट्रीय कलंक कोई मुद्दा नहीं है कि नवजात बच्चों की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, एक साल तक के बच्चों की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष राज्य है. बिहार के बाद सबसे ज्यादा ठिगने बच्चे उत्तर प्रदेश में ही हैं. गौरतलब है कि यह सर्वेक्षण भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय कराता है.

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