भ्रष्टाचार ढोती भारतीय रेल

दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के विकास के साथ देश ने आर्थिक तरक्की का लंबा सफर तय किया है. भारतीय रेल यात्री और माल ढुलाई का सबसे बड़ा माध्यम है. पर, व्यापक नेटवर्क वाले भारतीय रेल पर ट्रेनों की लेटलतीफी, रेल सुरक्षा, यात्री सुविधाओं की कमी के अलावा विभागीय भ्रष्टाचार पर सवाल भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2017 6:06 AM
दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क के विकास के साथ देश ने आर्थिक तरक्की का लंबा सफर तय किया है. भारतीय रेल यात्री और माल ढुलाई का सबसे बड़ा माध्यम है. पर, व्यापक नेटवर्क वाले भारतीय रेल पर ट्रेनों की लेटलतीफी, रेल सुरक्षा, यात्री सुविधाओं की कमी के अलावा विभागीय भ्रष्टाचार पर सवाल भी उठते रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवसंरचना क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा करते हुए जिस प्रकार रेलवे के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्ती के निर्देश दिये हैं, उससे स्पष्ट है कि रेलवे में व्याप्त भ्रष्टाचार विकराल रूप ले चुका है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट की मानें, तो 2015 के मुकाबले 2016 में ऐसी शिकायतों की संख्या 67 फीसदी तक बढ़ी है. गत वर्ष दर्ज हुई 49,847 कुल शिकायतों में सर्वाधिक 11,200 शिकायतें रेल कर्मचारियों के खिलाफ थीं. रेलवे में शिकायतों के बढ़ने से भी अधिक चिंताजनक शिकायतों का तय समय पर निस्तारण नहीं होना है. प्रधानमंत्री ने ठोस कार्रवाई करने और शिकायतों के तय समय पर निस्तारण और हादसों की जानकारी आदि के लिए एक एकीकृत टेलीफोन नंबर भी जारी करने का निर्देश दिया है.
सरकार इस बात को भलीभांति जानती है कि देश के ढांचागत विकास में रेलवे की भूमिका सबसे अहम है. इसके मद्देनजर सरकार अगले पांच वर्षों में पटरियों, पुलों के निर्माण और रेल विद्युतीकरण आदि के लिए 8,50,000 करोड़ निवेश करेगी, लेकिन योजनाओं के तय समय पर पारदर्शी तरीके से क्रियान्वयन की भी बड़ी चुनौती होगी. रेलवे सुरक्षा को लेकर बनायी गयी काकोदकर समिति भी यह कह चुकी है कि बाहरी हस्तक्षेप, अतिक्रमण और तोड़फोड़ रेलवे के सामने एक बड़ी चुनौती की तरह है. भ्रष्टाचार जनित ज्यादातर समस्याओं का हल रेल कर्मचारियों और स्थानीय रेल पुलिस बल के बेहतर तालमेल के बिना संभव नहीं है.
भ्रष्टाचार से निपटने में मानव और तकनीकी संसाधनों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में केंद्रीयकृत स्तर पर निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटलीकरण के प्रयास सराहनीय हैं. रेलवे की आपूर्ति और खरीद आदि विभागों के डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा. रेलवे के सभी क्रिया-कलापों को ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म पर लाने के लिए एक तंत्र स्थापित करने की बात कही है.
इस व्यवस्था के लागू होने से विभागीय भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ-साथ वित्तीय बचत भी की जा सकेगी. केंद्रीय स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने और विभागीय भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मध्यम और दीर्घ अवधि के तय लक्ष्यों पर काम करना होगा, तभी भारत की यह विकास-धमनी स्वस्थ और समुचित तरीके से काम कर सकेगी.

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