किताबें इतनी महंगी क्यों?

परीक्षाओं के परिणाम आने के साथ-साथ किताबें बेचने का काम शुरू हो चुका है. इसमें तो महंगाई की मार कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है. अब देखिए न, चौथी क्लास के बच्चे की एक किताब की कीमत है 225 रु पये. ऐसे करके हर अभिभावक को अपने बच्चे के लिए कम से कम दो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2014 3:12 AM

परीक्षाओं के परिणाम आने के साथ-साथ किताबें बेचने का काम शुरू हो चुका है. इसमें तो महंगाई की मार कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है. अब देखिए न, चौथी क्लास के बच्चे की एक किताब की कीमत है 225 रु पये. ऐसे करके हर अभिभावक को अपने बच्चे के लिए कम से कम दो हजार रुपये की किताबें खरीदनी होंगी. आखिर हम जैसे अभिभावक क्या करें और किसे अपना दर्द बतायें? क्या कोई नहीं है सुननेवाला?

आखिर लोगों को कब तक शिक्षा के नाम पर लूटा जायेगा? हर साल मार्च-अप्रैल-मई के महीने में अखबारों में ऐसे मुद्दे कई बार उठाये जाते हैं और यह सिलसिला शायद आगे भी जारी रहेगा, लेकिन इसका समाधान जाने कब होगा. शिक्षा तो इनसान की मौलिक जरूरत है, इसलिए इसे तो मुफ्त होना चाहिए, फिर इसके नाम पर व्यापार क्यों किया जाता है?

सुदीप्ता दास, सीतारामडेरा, जमशेदपुर

Next Article

Exit mobile version