आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है कुपोषण
प्रगतिशील भारत में कुपोषण एक चिंतनीय विषय है. मगर सरकारें जिस तरह से आतंकवाद को देखती है, उसका 10 प्रतिशत भी कुपोषण को लेकर नहीं है. कुपोषण से एक दिन में नौ हजार मौत हो जाती है, जो आतंकवाद से होने वाली एक साल में मौतों से ज्यादा है. ऐसा बिल्कुल भी कहना नहीं हैं […]
प्रगतिशील भारत में कुपोषण एक चिंतनीय विषय है. मगर सरकारें जिस तरह से आतंकवाद को देखती है, उसका 10 प्रतिशत भी कुपोषण को लेकर नहीं है. कुपोषण से एक दिन में नौ हजार मौत हो जाती है, जो आतंकवाद से होने वाली एक साल में मौतों से ज्यादा है.
ऐसा बिल्कुल भी कहना नहीं हैं कि आतंकवाद से निपटने के लिये कुछ भी नहीं किया जाये, पर कुपोषण की ओर से आंखे मूंद लेना कहां तक उचित हैं? भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ बहुत डरावना व भयावह स्थिति पैदा कर देगा. आतंकवाद की जड़ भी पूरी तरह से तो नहीं, पर काफी हद तक कुपोषण से पोषित होती हैं. सरकार को चाहिये कि आतंकवाद से निपटने के अपने प्रयास के साथ-साथ कुपोषण के लिए भी चिंतित हो और प्रयास करे ताकि इसे जड़ से समाप्त किया जा सके.
सीमा साही, बोकारो