संशय में पड़ी विलय वार्ता
आर राजगोपालन राजनीतिक विश्लेषक एआइएडीएमके के दोनों धड़ों के बीच चल रही विलय वार्ता पर संदेह के बादल घिर आये हैं, क्योंकि ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) धड़ा शशिकला एवं दिनाकरन द्वारा अपने पदों से इस्तीफे दिये जाने की जिद पर अड़ा है. यह धड़ा जून 2017 के मध्य में चेन्नई में एआइएडीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन […]
आर राजगोपालन
राजनीतिक विश्लेषक
एआइएडीएमके के दोनों धड़ों के बीच चल रही विलय वार्ता पर संदेह के बादल घिर आये हैं, क्योंकि ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) धड़ा शशिकला एवं दिनाकरन द्वारा अपने पदों से इस्तीफे दिये जाने की जिद पर अड़ा है. यह धड़ा जून 2017 के मध्य में चेन्नई में एआइएडीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) की जन्म शताब्दी समारोहों के आयोजन की तैयारी में जुटा है.
अनुमान है कि एआइएडीएमके काडर का 60 प्रतिशत ओपीएस के साथ है. ओपीएस धड़े के नेता इस आयोजन के पूर्व, पूरे प्रदेश के गहन दौरे कर अपने समर्थकों की यह संख्या बढ़ाते हुए जयललिता के कट्टर समर्थकों के फीडबैक भी पाना चाहते हैं, ताकि आगामी जुलाई में होनेवाले पंचायत चुनावों में वे अपनी दमदार भागीदारी दर्ज कर सकें. तब तक, वे विलय वार्ता पर अपनी शक्ति बरबाद नहीं करना चाहते.
हाल ही में जीके वासन के चेन्नई स्थित आवास पर पहुंच कर ओपीएस ने पंचायत चुनावों के लिए जीके वासन के तमिल मानिला कांग्रेस, डीएमडीके विजयकांत, पीएमके डॉ रामदोस, वाइको एमडीएमके तथा भाजपा की राज्य इकाई के साथ खुद के एक महागंठबंधन बनाने की संभावनाओं पर विचार किया, ताकि इन चुनावों में डीएमके नीत मोरचे से जम कर लोहा लिया जा सके. ओपीएस धड़ा इस रणनीति के द्वारा एआइएडीएमके के इ पलानीसामी कैंप को पूरी तरह दरकिनार करने पर आमादा है.
एआइएडीएमके के एक बड़े नेता ने यह बताया कि हमारी शर्तें बहुत कड़ी हैं. उनका कहना था कि वार्ता के प्रथम चक्र के लिए पलानीसामी कैंप स्वयं ही आगे नहीं आयेगा. हम दो मुद्दों पर इस कैंप की सार्वजनिक प्रतिक्रिया पाना चाहते हैं.
पहला, तमिलनाडु सरकार जयललिता की मौत की सीबीआइ जांच के आदेश दे. दूसरा, शशिकला एवं दिनाकरन अपने पदों से त्यागपत्र देकर उसे मीडिया में भी प्रकाशित करें. हम यह महसूस करते हैं कि पलानीसामी कैंप ने उपर्युक्त दोनों शर्तों पर अपने निर्णय से हमें अवगत कराने में पिछले दस दिनों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी है.
दूसरी ओर, पलानीसामी कैंप का यह कहना भी वाजिब लगता है कि जब इसके शीर्ष नेता अभी जेल में हैं, तो दूसरी पंक्ति के नेता किस तरह विलय वार्ता कर सकते हैं. पिछले कई दिनों से यह कैंप जिला सचिवों की बैठक कर रहा है, ताकि निर्वाचन आयोग को दिये जानेवाले शपथपत्र पर उनके दस्तखत लिये जा सकें. इस शपथपत्र से यह साफ संकेत जायेगा कि पलानीसामी कैंप के जिलासचिव अब भी शशिकला एवं दिनाकरन के प्रति वफादारी रखते हैं, अतः दोनों धड़ों का विलय नहीं हो सकता.
सूत्रों ने बताया कि यदि ओपीएस को फिर से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल भी जाता है, तो पार्टी विधायकों का बहुमत उन्हें धमकाता ही रहेगा. शशिकला का परिवार ओपीएस की अधीनता स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में यह धड़ा कोई जोखिम लेने के बजाय एआइएडीएमके के काडर के साथ ही मतदाताओं के समक्ष अपनी बातें रखने तथा उनकी बातें सुनने को ज्यादा सही समझता है. इसके नेताओं द्वारा पूरे प्रदेश का यह प्रस्तावित दौरा ओपीएस द्वारा पार्टी काडर एवं मतदाताओं के बीच अपनी स्थिति समझने में भी सहायक होगा. उनकी आशा है कि इन दौरों से ओपीएस समर्थक पार्टी काडर के साथ ही मतदाताओं के बड़े वर्ग में ओपीएस के प्रति उत्साह जागेगा, जिससे आगामी पंचायत चुनावों में उसके सुपरिणाम मिलेंगे.
सूत्रों ने यह उम्मीद भी जाहिर की कि यदि विलय वार्ता विफल होती है, तो पलानीसामी कैंप का आधा हिस्सा अपना पाला बदल ओपीएस के धड़े में शामिल हो जायेगा. वैसी स्थिति में वर्तमान एआइएडीएमके सरकार अल्पमत में आकर गिर जायेगी. दिनाकरन की गिरफ्तारी भी ओपीएस धड़े के लिए एक प्रच्छन्न वरदान की तरह ही सामने आयी. लेकिन, इसे लेकर उनका उत्साह तब ठंडा पड़ गया, जब दिनाकरन ने पार्टी के उपमहासचिव के पद से त्यागपत्र देने से साफ मना कर दिया.
ओपीएस धड़े का आरोप है कि दिनाकरन कैंप विलय वार्ता में देरी चाहता है कि वह इसी बीच हजारों करोड़ रुपयों के पार्टी फंड पर शशिकला एवं दिनाकरन परिवार के नियंत्रण को मजबूत कर सके. ओपीएस का यह दृढ़ मत है कि जब तक यह फंड शशिकला एवं दिनाकरन परिवार के कब्जे से निकल पार्टी के नियंत्रण में नहीं आता, तब तक विलय वार्ता गति नहीं पकड़ सकेगी.
जीके वासन ने दिल्ली में भाजपा के दो शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, जिसे उन्होंने शिष्टाचार के नाते की गयी भेंट का नाम दिया. यह तुरंत ज्ञात नहीं हो सका कि तमिल मानिला कांग्रेस के इस नेता ने इस मुलाकात में महागंठबंधन की संभावनाओं पर विचार किया या नहीं.
(अनुवाद: विजय नंदन)