पानी के लिए कब तक आंदोलन
गर्मी आते ही आसनसोल-दुर्गापुर के शिल्पांचल तथा कोयलांचल इलाके में पेयजल के लिए मारामारी शुरू हो जाती है. लोगों को कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है. जबकि प्रायः हर साल ही निगम स्तर से लेकर सरकार के जलापूर्ति मंत्रालय तक से लोगों से इसे ठीक करने का आश्वासन मिलता रहा है. […]
गर्मी आते ही आसनसोल-दुर्गापुर के शिल्पांचल तथा कोयलांचल इलाके में पेयजल के लिए मारामारी शुरू हो जाती है. लोगों को कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है. जबकि प्रायः हर साल ही निगम स्तर से लेकर सरकार के जलापूर्ति मंत्रालय तक से लोगों से इसे ठीक करने का आश्वासन मिलता रहा है.
पेयजल परियोजनाओं पर करोड़ों खर्च के वाबजूद ऐसी क्या बात है कि हर साल पानी की पूर्ति के लिए सड़क पर आंदोलन करने की जरूरत पड़ती है. इस समस्या का कोई स्थायी निदान सरकार के पास है या नहीं? ऐसा लगता है सरकार जानबूझ कर समस्याओं को बरकरार रखना चाहती है. सरकार आम जन की समस्याओं का स्थायी निदान दे तभी जनता उस सरकार को भी स्थायित्व प्रदान करती है.
पारो शैवलिनी, आसनसोल