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आतंकवाद की हिमायत ना हो

उमर फैयाज की हत्या और हिंदुस्तानी सेना में हो रहे जुल्म के बावजूद, अगर कश्मीरी नौजवान सेना में शामिल होकर देश की खिदमत करना चाहते हैं, तो बेशक उनकी हौसला अफजाई होनी चाहिए. पत्थरबाजियों को लेकर हर कश्मीरी नौजवानों को तीखी निगाहों से देखा जा रहा है, मगर आंख मूंद कर इस बात का यकीन […]

उमर फैयाज की हत्या और हिंदुस्तानी सेना में हो रहे जुल्म के बावजूद, अगर कश्मीरी नौजवान सेना में शामिल होकर देश की खिदमत करना चाहते हैं, तो बेशक उनकी हौसला अफजाई होनी चाहिए.
पत्थरबाजियों को लेकर हर कश्मीरी नौजवानों को तीखी निगाहों से देखा जा रहा है, मगर आंख मूंद कर इस बात का यकीन भी नहीं किया जा सकता कि कौन नौजवान देश के हित में वफा करेगा और कौन आतंकवाद की हिमायत करेगा? लिहाजा उन्हें सेना में शामिल करने से पहले बड़े एहतियात की जरूरत है, क्योंकि कोई हमारा अपना ही कहीं आस्तीन का सांप साबित ना हो जाये और इनसे देश को कोई बड़ा खतरा ना हो. आिखर यह हमारे देश की सुरक्षा का सवाल हैं, िजसपर हमें फूंक-फूंक कर कदम रखना चािहए.
शादाब इब्राहिमी, ब्रांबे, रांची

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