राज्य सरकार चार वर्षो में एक शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं कर पायी. यहां सभी पार्टियां विकास की बातें करती हैं, लेकिन शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलू पर भी राजनीतिक रोटी सेंकने में इन्हें कोई परहेज नहीं. 2011 के शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन में त्रुटि होने के कारण उस विज्ञापन को ही उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करना पड़ा था. उस समय तत्कालीन सरकार ने चुप रहना ही अपना राजनीतिक स्वार्थ समझा.
शिक्षक नियुक्ति की उम्मीद लगाये उम्मीदवारों का साथ किसी नेता ने नहीं दिया. गलत विज्ञापन सरकार की गलती से निकला था, लेकिन अभ्यर्थियों को न तो इसके लिए मुआवजा मिला, न न्याय और न ही परीक्षा रद्द होने संबंधी कोई लिखित सूचना. परीक्षा शुल्क और मेहनत दोनों ही बेकार गये. उसके बाद नयी सरकार नया विज्ञापन लायी, लेकिन उसमें भी इतनी गलतियां हैं कि नियुक्ति मुश्किल है.
मोतीलाल पान, सरायकेला-खरसावां