जरूरी सैनिक कार्रवाई
कश्मीर समस्या के निदान का एक आवश्यक पहलू सीमा पार से होनेवाली घुसपैठ पर कारगर ढंग से अंकुश लगाने का है. यह एक स्थापित तथ्य है कि पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी की आड़ लेकर प्रशिक्षित आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करते रहते हैं. यह भी सच है कि कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी जमातों को घाटी में […]
कश्मीर समस्या के निदान का एक आवश्यक पहलू सीमा पार से होनेवाली घुसपैठ पर कारगर ढंग से अंकुश लगाने का है. यह एक स्थापित तथ्य है कि पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी की आड़ लेकर प्रशिक्षित आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करते रहते हैं. यह भी सच है कि कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी जमातों को घाटी में आग भड़काने के लिए आर्थिक मदद पाकिस्तान से मिलती है और सीमा-पार से होनेवाली घुसपैठ के जरिये भी यह काम अंजाम दिया जाता है.
घुसपैठ और धन की आमद को रोकने के लिए भारतीय सेना सीमा पर सख्त निगरानी रखती है. हाल के दिनों में, खासकर सर्जिकल स्ट्राइक की घटना के बाद, एक बदलाव और आया है. अब भारतीय सेना सिर्फ निगरानी और जवाबी गोलीबारी तक अपनी कार्रवाई सीमित नहीं रख रही है, बल्कि उसने जरूरत के अनुरूप सीमा पार के पाकिस्तानी ठिकानों पर धावा भी बोला है. सर्जिकल स्ट्राइक के समय यह काम बड़े साहस के साथ हुआ और भारत ने अपनी इस जवाबी कार्रवाई को निस्संकोच दुनिया के सामने स्वीकार किया.
हाल में भारतीय सीमा में घुसपैठ कर भारतीय सैनिकों को जान से मारने और उनके शव के साथ अमानवीय बरताव करने की पाकिस्तान की करतूत का जवाब भी भारत ने इसी अंदाज में दिया था. सीमा पार पाकिस्तानी बंकरों और सैन्य ठिकानों पर हमारी सेना ने मिसाइल दागे. खबरों के मुताबिक, भारत ने एक बार फिर से नियंत्रण रेखा के पास बने पाकिस्तानी ठिकानों पर भारी गोलीबारी की है.
सर्जिकल स्ट्राइक की ही तरह इस बार भी फायरिंग की घटना का वीडियो जारी किया गया है, ताकि कोई संदेह की गुंजाइश न रहे. सैन्य कार्रवाई का वीडियो जारी करना बहुत अहम है. इसका एक संकेत तो यह है कि दुश्मन अपने इलाके से आतंकवाद फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके इलाके में घुस कर प्रतिकार करने में भारत नहीं हिचकेगा.
दूसरा संकेत यह भी है कि भारत नियंत्रण रेखा से लगते पाकिस्तानी कब्जे वाले इलाके में सैन्य ठिकानों को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की रणनीति पर चल रहा है, ताकि पाकिस्तानी प्रेरित आतंकवादियों के मंसूबे हमेशा के लिए कमजोर किये जा सकें. भारतीय सेना की यह रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की सोच के अनुकूल है.
उन्होंने कई दफे इशारों में कहा है कि दुश्मन हमलावर हो, इसके पहले ही उसकी ताकत को कमजोर करने की जोरदार कोशिश की जानी चाहिए. उम्मीद की जानी चाहिए कि देश के आत्मविश्वास को बढ़ानेवाली यह रणनीति आगे भी जारी रहेगी और इसके साथ ही कूटनीतिक मोरचे पर भी दबाव बरकरार रखा जायेगा.