आतंक के साये में जीता ब्रिटेन

डॉ विजय राणा पूर्व संपादक, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस हिंदी, लंदन vijayrana@nrifm.com सैफी रोज सिर्फ आठ साल की थी. अपनी मां से जिद करके उसने अमरीकी पॉप गायिका आरियाना ग्रांडे की कॉन्सर्ट के टिकट मंगवाये थे. अपनी बड़ी बहन के साथ वह अपनी मनपसंद गायिका का शो देखने गयी थी, लेकिन वह लौट कर घर नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2017 6:20 AM
डॉ विजय राणा
पूर्व संपादक, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस हिंदी, लंदन
vijayrana@nrifm.com
सैफी रोज सिर्फ आठ साल की थी. अपनी मां से जिद करके उसने अमरीकी पॉप गायिका आरियाना ग्रांडे की कॉन्सर्ट के टिकट मंगवाये थे. अपनी बड़ी बहन के साथ वह अपनी मनपसंद गायिका का शो देखने गयी थी, लेकिन वह लौट कर घर नहीं आयी. एक निर्दयी आतंकवादी ने उसकी नन्हीं सी खूबसूरत दुनिया का अंत कर दिया.
23 वर्षीय अमेरिकी आरियाना कम उम्र के युवाओं, विशेषकर युवतियों, की चहेती पॉप गायिका है. गत सोमवार की रात के साढ़े दस बजे कॉन्सर्ट समाप्त हो चुका था. आरियाना के संगीत के 21 हजार दीवाने मौज-मस्ती के माहौल में मैनचेस्टर एरीना से बाहर निकल रहे थे, कि तभी हाल के दरवाजे पर एक जोरदार धमाका हुआ. एक आत्मघाती जेहादी ने मौज-मस्ती के माहौल को चीख-चिल्लाहट और खून-खराबे में बदल दिया.
इस हमले में 22 लोग मारे गये और 49 घायल हुए, जिनमें 12 बच्चियां 16 वर्ष से कम आयु की थीं. विस्फोट इतना विनाशकारी था कि मरनेवालों में से अब भी 15 लोग लापता हैं- उनके जिस्म मानो हवा में गायब हो गये. जुलाई 2005 में लंदन में हुए अंडरग्राउंड ट्रेन हमलों के बाद ब्रिटेन में यह सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था. उस हमले में 56 लंदनवासी मारे गये थे और कोई 700 लोग घायल हुए थे.
मैनचेस्टर हमले के थोड़ी देर बाद सीरिया और इराक में सक्रिय आतंकवादी संगठन आइसिस ने एक बयान जारी किया- ‘खिलाफाह के एक सिपाही ने अल्लाह के धर्म के दुश्मनों के दिल में दहशत पैदा करने के लिए इस काम को अंजाम दिया है.’यह हमला मैनचेस्टर में जन्मे लीबियाई मूल के 22 वर्षीय सलमान रमादान आबिदी ने किया था.
अमेरिका और ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियों की उस पर निगाह जरूर थी, लेकिन उसे खतरनाक आतंकवादियों के दायरे से बाहर माना जा रहा था. स्थानीय लोगों का कहना है कि सलमान आबिदी एक शांत और अलग-थलग रहनेवाला युवक था. वह अपने भाई इस्माइल के साथ नियमित रूप से डीड्सबरी मसजिद में जाता था. उसके पिता अबू इस्माइल उसी मसजिद में पांच वक्त के नमाजी रहे हैं और इसलामी उग्रवाद के खिलाफ खुल कर बोलते रहे हैं. सुरक्षा विशेषज्ञों का खयाल है कि सलमान शायद सीरिया और इराक से लौटे जेहादी के संपर्क में आकर आतंकवादी बना होगा.
एक अनुमान के अनुसार आइसिस से प्रभावित होकर ब्रिटेन के लगभग 850 युवक सीरिया में लड़ने गये थे.इनमें से लगभग 400 लौटने में भी सफल हो गये हैं. कुछ लोग पकड़े जरूर गये हैं, लेकिन कुछ अन्य स्थानीय युवकों को जेहादी आतंकवाद की ट्रेनिंग दे रहे हैं. वे आमतौर पर मसजिदों, खेल के मैदानों और स्वयंसेवी संगठनों में सक्रिय मुसलिम युवाओं को बहका कर अपना शिकार बनाते हैं. ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऐसे लोगों पर निगाह रखती हैं और पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने दर्जनों आतंकवादी हमलों की योजनाओं को विफल भी किया है.
विस्फोट के कुछ ही घंटों के बाद पुलिस ने मैनचेस्टर के कई इलाकों में छापे मारे और एक अन्य युवक को गिरफ्तार भी किया. ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी पहेली यही है कि क्या सलमान अाबिदी अकेला था या उसने यह हमला कुछ और लोगों की सहायता से किया है. एक राय यह भी है कि इतना संहारक बम बनाने में उसने जरूर कुछ और लोगों की मदद ली होगी. लेकिन, कुछ विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि ऐसा बम एक अकेला इंसान अपने गैरेज में भी बना सकता है. इसके लिए उसे नट, बोल्ट, कीलें औरे बॉल बेयरिंग स्थानीय बाजार से मिल सकते हैं और तकनीकी जानकारी इंटरनेट से ली जा सकती है.
लेकिन, इस तरह के प्रयास अक्सर असफल हो जाते हैं.ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस प्रमुख इयान हॉपकिंस का कहना है कि हमारे अधिकारी अब यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि यदि सलमान अाबिदी के साथ कुछ और लोग इस जघन्य कृत्य में शामिल थे, तो वे कौन हैं और उन्हें जल्द से जल्द कैसे गिरफ्तार किया जाये.
यह हमला ब्रिटेन में जारी चुनाव प्रचार के दौरान किया गया है. आठ जून को यहां मतदान होना है. कल मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए एक दिन के लिए चुनाव प्रचार बंद कर दिया गया था.
सभी राजनीतिक दलों ने सधी और संयत प्रतिक्रिया की है. प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने कहा कि हमें यह समझने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है कि ‘यह कैसी विकृत मानसिकता वाले लोग हैं, जिन्होंने मासूम युवाओं से भरे स्थान पर ऐसा हृदयहीन आतंकवादी हमला किया है.’ वहीं प्रतिपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि ‘इस संकट की घड़ी में हम मृतकों के परिवारों के साथ हैं. इस समय हमारे समाज को एकजुट होने की जरूरत है, ताकि आतंकवाद सफल न हो सके.’
नि:संदेह समस्त यूरोप को इस समय जेहादी आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ वर्षों में यूरोप के अनेक बड़े शहरों- पेरिस, लंदन, बर्लिन, ब्रसेल्स, मैड्रिड और नीस- में इस तरह के आतंकवादी हमले हो चुके हैं.
इस समस्या का गंभीर पक्ष यह भी है कि यूरोप में सक्रिय अधिकांश जेहादी आतंकवादी स्थानीय लोग हैं. पुलिस के लिए उनकी पहचान करना अत्यंत कठिन होता है. सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक अघोषित युद्ध की स्थिति है. ब्रिटेन की स्थानीय गुप्तचर संस्था एमआइ-5 की जांच सूची में 3,000 संदेहास्पद आतंकवादी हैं, जिन पर नियमित रूप से निगाह रखी जाती है.
स्थिति की गंभीरता से निबटने के लिए प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने ऑपरेशन टेंपरर नाम से एक विशेष सुरक्षा अभियान आरंभ किया है, जिसके तहत स्थानीय पुलिस की सहायता के लिए देश के विभिन्न शहरों में 5,000 सैनिक तैनात किये जायेंगे. ये लोग भीड़ भरे स्थानों जैसे रेल स्टेशनों और बड़े आयोजनों की सुरक्षा करेंगे. साथ ही मानव स्वतंत्रतावादियों की आशंकाओं का समाधान करते हुए टेरेसा मे ने स्पष्ट किया कि ब्रिटेन के शहरों में तैनात ये सैनिक स्थानीय पुलिस के कमांड में रहेंगे.

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