Loading election data...

बाहरी दबावों से मुक्त हो पुलिस-प्रशासन

सहारनपुर हिंसा मामले में प्रशासन की ढिलाई जरूर रही. बहुत ही सीधी सी बात है कि अगर प्रशासन सख्त हो, निष्पक्ष हो, तो ऐसी घटनाएं फौरन नियंत्रण में आ जाती हैं. प्रशासन की तरफ से जो संदेश जनता में जाना चाहिए था कि वह सख्त भी है और निष्पक्ष भी है, वह संदेश गया ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2017 9:30 AM
सहारनपुर हिंसा मामले में प्रशासन की ढिलाई जरूर रही. बहुत ही सीधी सी बात है कि अगर प्रशासन सख्त हो, निष्पक्ष हो, तो ऐसी घटनाएं फौरन नियंत्रण में आ जाती हैं. प्रशासन की तरफ से जो संदेश जनता में जाना चाहिए था कि वह सख्त भी है और निष्पक्ष भी है, वह संदेश गया ही नहीं, जिससे एक समुदाय को लगने लगा कि सरकार और प्रशासन एक ही पक्ष का साथ दे रही है. हो सकता है कि कुछ गलफहमियां भी रही हों, इसलिए यह मामला लंबा खिंचता चला गया.

यह सीधे-सीधे स्थानीय अधिकारियों की कमजोरी है, वरना तो छिटपुट हिंसा के नियंत्रण में वक्त ही कितना लगता है. मीडिया की खबरों को छोड़ दें, तो वहां सही-सही क्या हुआ, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा और उसके बाद ही कुछ ठोस कहा जा सकेगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने अफसराें की एक नयी टीम खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं- जिसमें कलेक्टर, डीएम, एसपी, डीआइजी, कमिश्नर आदि सब नये होंगे. लेकिन अभी इसमें वक्त लगेगा.

बहरहाल, यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पिछले 15 सालों में उत्तर प्रदेश में पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से खोखली हो गयी है. पिछले 15 साल से लगातार जिस तरह से वहां के नेताओं ने पुलिस-प्रशासन का राजनीतिकरण किया है, और दुरुपयोग किया है, उससे पुलिस-व्यवस्था निर्बल हो गयी थी. उस व्यवस्था को सुधरने में, तन कर वापस खड़े होने में अब वक्त लगेगा. हम इसी पुलिस सुधार की लड़ाई पिछले बीस साल से लड़ रहे हैं कि पुलिस को सरकार स्वायत्तता दे, ताकि पुलिस-प्रशासन नेताओं की कठपुतली न बनने पाये. इस लड़ाई में हमें मीडिया का भी साथ चाहिए और साथ मिलता भी रहा है. जिस दिन भ्रष्ट राजनीति के चंगुल से प्रशासन मुक्त हो जायेगा, उस दिन वह सख्त भी हो जायेगा और निष्पक्ष भी. पुलिसिंग व्यवस्था को सशक्त और निष्पक्ष बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के छह निर्देशों का अनुपालन करने की सख्त जरूरत है. लेकिन, दुर्भाग्य है कि वे निर्देश उत्तर प्रदेश तो क्या, देश के ज्यादातर राज्यों में लागू नहीं हो रहे हैं. जहां कहीं हो भी रहा है, तो वह भी महज दिखावे के तौर पर हो रहा है, ताकि सुप्रीम कोर्ट डंडा न चलाये.
पुलिस व्यवस्था को सशक्त और निष्पक्ष बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कुछ मुख्य निर्देश हैं कि सबसे पहले पुलिस को बाहरी दबावों से मुक्त होना चाहिए. दूसरी बात यह है कि डीजीपी की तैनाती दो साल के लिए होनी चाहिए, और उसे बिना किसी दबाव के काम करने देना चाहिए. साथ ही फील्ड पोस्टिंग वाले अधिकारी जैसे आइजी और थानाध्यक्षों की नियुक्ति भी दो साल के लिए हो, ताकि वे एक जगह पर निष्पक्ष रह कर दो साल तक बेहतरीन काम कर सकें. एक और महत्वपूर्ण बात- लॉ एंड ऑर्डर और क्राइम इन्वेस्टिगेशन- इन दोनों को एक-दूसरे से अलग होना चाहिए. मसलन, जो अधिकारी लॉ एंड ऑर्डर का काम करे, उसे क्राइम इन्वेस्टिगेशन में न लगाया जाये या किसी भी अधिकारी को दोनों काम एक साथ नहीं दिया जाये. आखिरी बात यह है कि पुलिस व्यवस्था में जो संसाधनों की कमी है, मोटरगाड़ी की कमी है, स्थानीय संवाद की कमी है, इन सब चीजों को पूरा किया जाना चाहिए. साथ ही कम्युनिटी पुलिसिंग की व्यवस्था होनी चाहिए. इन सारे निर्देशों का अगर सही तरीके से पालन किया जाये, तो न सिर्फ हिंसा पर नियंत्रण होगा, बल्कि अपराधों पर भी नियंत्रण होगा.
प्रकाश सिंह
पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश

Next Article

Exit mobile version