तोते-गुरसल का घर

क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हलकी सी फुहार और भीगी ठंडी हवा ने मौसम सुहावना कर दिया था. सामने की नौ मंजिला लाल रिहाइशी इमारत और आसपास के पेड़ धुले और चमकीले नजर आ रहे थे. मेरी नजर उसी लाल इमारत पर चिपके एक तोते पर पड़ी. ऐसा लगता था जैसे दीवार पर किसी ने उसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2017 6:16 AM
क्षमा शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
हलकी सी फुहार और भीगी ठंडी हवा ने मौसम सुहावना कर दिया था. सामने की नौ मंजिला लाल रिहाइशी इमारत और आसपास के पेड़ धुले और चमकीले नजर आ रहे थे. मेरी नजर उसी लाल इमारत पर चिपके एक तोते पर पड़ी. ऐसा लगता था जैसे दीवार पर किसी ने उसे प्रिंट कर दिया हो. वह जोर से आवाज लगा रहा था . और एक गुरसल भी बिल्कुल उसके पास ही मंडरा रही थी. एक गिलहरी भी एसी पर चढ़ी उन्हें देख रही थी.
तोता बार-बार उड़-उड़ कर इधर-उधर बैठता रहा और गुरसल उसका पीछा करती रही. अचानक तोते ने मौका ताड़ा और वह एसी के पास दीवार में बने एक मोखे में घुस कर मुंह चमकने लगा. जब गुरसल उसके पास आती, तो मुंह अंदर कर लेता.
अब यह हर रोज होने लगा. कभी तोता अंदर कभी गुरसल अंदर. वे उस मोखे में जैसे अपना-अपना घर बनाना चाहते थे. और जिसको जब मौका मिलता था, वह उस पर कब्जा जमा लेता.
दीवार में बने इस मोखे को शायद इन्होंने पेड़ की खोखल मान लिया था. इन्हें देख कर लगता था कि मकान मालिक और किरायेदार अपने-अपने हक के लिए लड़ रहे हों. मगर, गुरसल किरायेदार थी या तोता मकान मालिक, यह कहना मुश्किल था.
पूरे दिन इन दोनों पक्षियों का यह खेल चलता रहता. कभी-कभी बहुत तरस भी आता. आखिर कब तो ये दाना चुगने जाते हैं, कब पानी पीते हैं. इनके परिवार कहां हैं. या कि इंतजार में हैं कि इस पक्के मकान पर कब्जा मिले, तो बाल-बच्चों के बारे में सोचें.
ऐसा महीनों तक चलता रहा.
फिर एक दिन उस फ्लैट के मालिक ने खिड़की के बाहर जाली लगवा दी. वह मोखा जाली के अंदर बंद हो गया, जिस पर कब्जे के लिए तोता और गुरसल अकसर एक-दूसरे पर लड़ते रहते थे और मोखा कब्जाने के नित नये तरीके खोजते थे. अब इतने दिन हुए न गुरसल दिखाई देती है न तोता. क्या पता नये घर की तलाश में दोनों कहां गये होंगे! घर उन्हें मिला भी होगा कि नहीं!
यह तो इन बेचारों के साथ तब भी होता, जब जिस पेड़ की खोखल में इनका घर होता, और उसे कोई बिना बताये काट देता. ये शाम को जब दाना-पानी करके घर लौटते, तब इन्हें पता चलता.
पेड़ काटते वक्त आखिर कौन पक्षियों के बारे में सोचे. यह पता करे कि जिन शाखाओं को धराशाई करने जा रहा है, उन पर किसी पक्षी का घोंसला तो नहीं, उसके अंडे- बच्चे तो नहीं. एक पेड़ कितने पक्षियों, गिलहरियों, कीड़े-मकोड़ों का घर होता है. उसके कटते ही ये सब बेघर हो जाते हैं. इन्हें घर देने के लिए सरकार की तरफ से कोई आवास योजना भी नहीं चलायी जाती.

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