शोक में सुंदरता

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार मरने के बाद मामले एकदम अलग हो जाते हैं, मेरे शहर के सबसे बड़े ब्लैकमार्केटिया कारोबारी मरने के बाद-उदारमना, स्वतंत्रचेता, दानवीर वगैरह सब बता दिये गये. सबने चुप होकर सुन लिया. हिंदी के कई लेखक अपनी तारीफ सुनने को हुड़कते हैं, तो मैं उन्हें बता देता हूं अभी आप जिंदा हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2017 5:59 AM
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
मरने के बाद मामले एकदम अलग हो जाते हैं, मेरे शहर के सबसे बड़े ब्लैकमार्केटिया कारोबारी मरने के बाद-उदारमना, स्वतंत्रचेता, दानवीर वगैरह सब बता दिये गये. सबने चुप होकर सुन लिया.
हिंदी के कई लेखक अपनी तारीफ सुनने को हुड़कते हैं, तो मैं उन्हें बता देता हूं अभी आप जिंदा हैं, आपकी तारीफ कैसे हो सकती है. अपने बारे में अच्छा सुनने के लिए मरना पड़ता है. मौत पर अच्छा सुनने-सुनाने का विकट कारोबार हो लिया है अब. केरल में मौत के बाद एनआरआइ-जनित धन का प्रदर्शन खूब दीख रहा है. केरल में कई मामलों में मरनेवाले की तारीफ गा-बजा कर की जाती है, इसकी फोटो सोशल साइट्स पर पोस्ट करने का अलग कारोबार है. अमीर आदमी मर कर भी रोजगार देकर जाता है.वक्त बदल गया है.
मुझे तरह-तरह के धंधे विकसित होते दिखायी दे रहे हैं. बहुत जल्दी इस तरह के संवाद आपको सुनायी देंगे- ‘क्यों रीटा, मिसेज शर्मा की शोकसभा में तू वही साड़ी पहन कर आयी थी, जो तूने मिसेज वर्मा की शोकसभा में पहनी थी. फेसबुक फोटो में तू बहुत पुरानी टाइप लग रही थी.’ रीटा जवाब देती है- ‘ना, गौर से देख, प्रिंट अलग है. ध्यान से देख फोटो, गौर से देख पता लगेगा कि साड़ी अलग थी.’
फेसबुक पर शोकसभा के फोटो अपलोड होते हैं. इसलिए शोक में फोटोजेनिक दीखना अनिवार्य है. ऐसे ही नहीं, शोक में रोना-पीटना मचा दिया पुराने टाइप का कि हाय पप्पू के पापा कैसे छोड़ कर चले गये तुम.
विकट चुनौतियां हैं फोटोग्राफरों के सामने. दिल्ली का एक फोटोग्राफर डेथ फोटोग्राफी में विशेषज्ञता हासिल कर रहा है. वह शोकसभाओं में ऐसे एंगल से फोटो खींचता है कि बंदा या बंदी एकदम ग्रेसफुल पर हैंडसम तरीके से दुखी रहे. पर दुख में भी हैंडसम दिखना ही आज के वक्त की चुनौती है.
शोकसभा में जाने से पहले बंदा फेशियल कराये, फोटो सोशल साइट्स पर शेयर होनी है. अब मध्यमवर्ग के कई रिश्तेदार अमेरिका में हैं, वहीं से शोकसभा के फोटो लाइक करके शोक जतायेंगे. वे देखेंगे मिसेज गुप्ता की फोटो तो शोकफुल, पर स्मार्ट होनी चाहिए. शोकसभाओं के लिए अलग तरह के फेशियल पैकेज बनेंगे. शोकसभा फेशियल की खूबी होगी कि बंदे या बंदी का चेहरा इतना चमकेगा कि फेसबुक पर ठीक-ठाक आ जाये, पर इतना भी न चमक जाये कि सब यह कहने लगें कि देखो वह अपनी सास के मरने पर कित्ती खुश है.सुख- हैप्पी बर्थडे के फोटो फेसबुक पर डालना है. दुख को भी अंतत: फेसबुक पर ही जाना है, इसलिए उसे फोटोजेनिक होना ही पड़ेगा.

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