छात्रों को सलाह
इस साल अभी तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे 22 छात्र जान दे चुके हैं. पहले भी ऐसी खबरें आया करती थीं, मगर इस साल संख्या बहुत अधिक हो गयी है.
राजस्थान के शहर कोटा की सबसे बड़ी पहचान वहां के कोचिंग संस्थान हैं. वहां से पढ़े बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं में सफलता मिलती रही है, लेकिन कोटा इन दिनों कुछ अलग वजहों से बराबर सुर्खियों में आ रहा है. वहां से रह-रह कर छात्रों के आत्महत्या करने की खबरें आ रही हैं. आधिकारिक तौर पर इस साल अब तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे 22 छात्र जान दे चुके हैं. पहले भी ऐसी खबरें आया करती थीं, मगर इस साल संख्या बहुत अधिक हो गयी है.
वर्ष 2022 में भी 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी. बढ़ते मामलों के बाद चिंताएं भी प्रकट की जा रही हैं और कुछ कदम भी उठाये जा रहे है. छात्रावासों में पंखे स्प्रिंग से लटकाये जा रहे हैं. बहुमंजिले छात्रावासों में लॉबी या बालकनी जैसे खाली स्थानों के ऊपर जाली लगाने की भी खबरें आ रही हैं. प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों में दो महीने तक रुटीन टेस्ट करवाने पर रोक लगा दी है, ताकि छात्रों का तनाव कम हो. इन्हीं खबरों के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोटा जाकर कोचिंग छात्रों के साथ संवाद किया.
छात्रों से कहा कि उन्हें असफलता से डरना नहीं चाहिए. उनकी यह सलाह न केवल छात्रों, बल्कि हर उस व्यक्ति पर लागू होती है, जो कुछ करना चाहता है और नाकामी से डर जाता है. उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी बड़ा काम एक ही प्रयास में पूरा नहीं हो जाता. उन्होंने छात्रों को चंद्रयान की मिसाल दी. वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 सफल नहीं हो पाया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने हौसला नहीं छोड़ा और उसका परिणाम चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता में नजर आया. दरअसल, कोई प्रयास भले ही अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचता हो, मगर वह व्यर्थ नहीं होता.
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से करियर चुनते समय भी केवल अपनी अभिरुचि और क्षमता का ध्यान रखने की सलाह दी. कोटा में उपराष्ट्रपति ने छात्रों से जो बातें कही हैं, उनमें से कोई भी बात ऐसी नहीं है, जो हम पहली बार सुन रहे हैं, लेकिन कई बार कुछ बातों को बार-बार याद दिलाना जरूरी हो जाता है. करियर की रेस में दौड़ते छात्रों का मनोबल मजबूत रहे, इसलिए ऐसी बातें लगातार याद दिलायी जाती रहनी चाहिए.