वायु प्रदूषण की चुनौती
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार 131 शहरों में से 95 में वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है.
दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. इसकी रोकथाम के लिए अनेक प्रयास हो रहे हैं, लेकिन कुछ महीनों तक स्थिति में विशेष सुधार की आशा नहीं है. वाहनों के उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियों के चलते रहने तथा पंजाब के खेतों में पराली जलाने के बढ़ते मामलों से राजधानी और आसपास के इलाकों में हवा प्रदूषित रहेगी. देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली के प्रदूषण की अधिक चर्चा होती है,
लेकिन उत्तर एवं पश्चिम भारत के भी कई शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या है, जिसके समाधान के लिए दीर्घकालिक प्रयासों की आवश्यकता है. इस क्रम में केंद्र सरकार का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम बड़ी पहल साबित हो सकता है. इसके तहत देश के 131 शहरों में नियमित रूप से हवा की गुणवत्ता परखी जाती है. सितंबर में आयी रिपोर्ट में बताया गया था कि इन 131 शहरों में से 95 में वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हाल तक विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित वायु वाले शहरों में भारतीय शहरों की संख्या बहुत होती थी, यह सुधार निश्चित रूप से उत्साहजनक है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में सुधार देखा जा रहा है. यह क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषण की चपेट में है. लेकिन निगरानी और उपायों में नियमितता आवश्यक है क्योंकि थोड़ी चूक भी इन परिणामों पर पानी फेर सकती है.
प्रदूषक तत्वों के लिए वाहनों के चालन, सड़क की धूल, निर्माण कार्य, उद्योग, ताप बिजली संयंत्र, कचरा जलाना, मलबा निस्तारण आदि कारक जिम्मेदार होते हैं. राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत 2025-26 तक प्रदूषक तत्वों में 40 प्रतिशत कमी करने का लक्ष्य रखा गया है. यह योजना 2019 में प्रारंभ हुई थी और फिर दो साल से अधिक समय तक कोविड महामारी का कहर रहा. कारोबारी और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने से प्रदूषण नियंत्रण के मोर्चे पर चुनौती बढ़ी है. इसलिए हर स्तर पर मुस्तैदी जरूरी है.
केंद्र सरकार की यह पहल भी उल्लेखनीय है कि जो शहर प्रदूषण घटाने में अच्छा प्रदर्शन करेंगे, उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान की जायेगी ताकि वे अधिक संसाधन जुटा सकें. शहरों का सूचकांक बनाना भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है. विश्व वायु गुणवत्ता सूचकांक, 2021 में सबसे प्रदूषित 117 देशों में भारत का पांचवा स्थान था. ग्रीनपीस इंडिया की हालिया रिपोर्ट बताती है कि देश की लगभग पूरी आबादी ही कमोबेश प्रदूषित हवा में सांस ले रही है. जहरीली हवा हमारे स्वास्थ्य को तबाह करती है तथा जीवन प्रत्याशा को कम करती है. राष्ट्रीय कार्यक्रम को ठीक से लागू कर तथा स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि कर हम निश्चित ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं.