19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में न डाले अमेरिका

बड़ी शक्तियां केवल अपने हितों के हिसाब से भू-राजनीतिक खेल खेलती हैं. अमेरिका चीन के खिलाफ भारत का साथ देने का दम भरता है, पर उसे यह भी मालूम है कि पाकिस्तान चीन का कितना करीबी है.

पाकिस्तानी वायु सेना के एफ-16 लड़ाकू जहाजों के बेड़े के लिए अमेरिका द्वारा 450 मिलियन डॉलर की सहायता देने का निर्णय क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए खतरनाक है. इसीलिए भारत का इस लेन-देन पर कड़ी आपत्ति दर्ज करना सही और जरूरी है. सबसे पहली बात यह रेखांकित की जानी चाहिए कि पाकिस्तान कई दशकों से, विशेष रूप से शीत युद्ध के दौर में, अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण रहा है तथा अमेरिका उसे हर तरह की मदद भी देता रहा है.

जब अफगानिस्तान का मसला आया, तब भी दोनों देशों का साथ रहा. इस सामरिक जुगलबंदी के लिए हमेशा कोई न कोई बहाना मिल जाता है. अमेरिका ने पाकिस्तान को गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा भी दिया हुआ है. यह जानते हुए भी कि पाकिस्तान को कहीं से कोई खतरा नहीं है, इस तरह का रक्षा सहयोग देने का कोई तुक नहीं है. अगर गैर-पारंपरिक खतरे हैं, तो उनसे निपटने के लिए इस तरह के अत्याधुनिक हथियारों की क्या जरूरत है!

अमेरिका समेत सारी दुनिया जानती है कि आतंकवाद से पाकिस्तान का क्या नाता रहा है और कई आतंकी घटनाओं में पाकिस्तानी समूह शामिल रहे हैं. जो पाकिस्तान का रावलपिंडी प्रतिष्ठान है यानी पाकिस्तानी सेना और आईएसआई, वह आतंकी समूहों को संरक्षण व सहयोग देता है. अभी पाकिस्तान की प्रमुख समस्या आर्थिक तबाही और बाढ़ से हुई बर्बादी है.

अगर मदद ही करनी है, तो इन समस्याओं के समाधान के लिए अमेरिका को सहयोग देना चाहिए. उल्लेखनीय है कि आतंक को सहयोग देने के लिए पाकिस्तान पर कुछ वैश्विक पाबंदियां लागू हैं. अमेरिका ने भी कुछ प्रतिबंध लगाये हैं. इसी कारण से वे सीधे सेना को धन नहीं दे सकते, तो उन्होंने यह तरीका अपनाया है. अमेरिका ने दूसरे देशों के जरिये भी पाकिस्तान को मदद देने की कोशिश की है.

जब आतंकी हमले के बाद बालाकोट मामले में भारतीय वायु सेना द्वारा पाकिस्तान का एक एफ-16 विमान गिराने की बातें सामने आयीं, तो अमेरिका ने उसकी पुष्टि नहीं की. अमेरिका को यह भी मालूम है कि पाकिस्तान हथियारों और साजो-सामान से अपने को इसलिए लैस नहीं करता कि उसे अपनी रक्षा करनी है, बल्कि यह सब उसकी आक्रामकता के लिए है और यह आक्रामकता भारत के विरुद्ध है. यह अमेरिका से पूछा जाना चाहिए कि जब वह भारत को अपना करीबी मित्र देश मानता है, तो फिर वह पाकिस्तान को इस तरह की मदद क्यों देता है. इससे क्षेत्रीय स्थिरता के बिगड़ने का खतरा पैदा होता है.

यह रवैया इंगित करता है कि अमेरिका के लिए यह उसके भू-राजनीतिक खेल का एक हिस्सा है. वह शायद यह सोचता हो कि पाकिस्तान का इस्तेमाल कर वह अपनी सैन्य क्षमता को इस क्षेत्र में बढ़ाये. इस तरह के बहाने भारत के सामने रखे जाते रहे हैं. हाल ही में भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी. उसमें भी भारत ने अपनी चिंता जाहिर की थी और अब भी आपत्ति जता दी गयी है.

इस प्रकरण से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि कोई भी आपका मित्र देश नहीं है. बड़ी शक्तियां केवल अपने हितों के हिसाब से भू-राजनीतिक खेल खेलती हैं. अमेरिका चीन के खिलाफ भारत का साथ देने का दम भरता है, पर उसे यह भी मालूम है कि पाकिस्तान चीन का कितना करीबी है. अगर अमेरिका यह सोच रहा है कि वह पाकिस्तान को 450 मिलियन डॉलर देकर उसे चीन से दूर कर देगा, तो यह ख्याली पुलाव पकाना ही कहा जायेगा.

इस कदम से यह भी जाहिर होता है कि बाइडेन प्रशासन की मंशा समझना मुश्किल है, क्योंकि वह जो कर रहा है, उससे भारत की चिंताएं बढ़ेंगी. यह भी हो सकता है कि अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से संकेत देना चाहता है कि वह रूस-यूक्रेन मसले पर भारत के रूख से असंतुष्ट है. अगर यह बात है, तो इसे संकीर्ण सोच ही कहा जा सकता है. इससे उसे ही नुकसान होगा.

अमेरिका ने एफ-16 विमान देते समय कहा था कि इनका इस्तेमाल भारत या किसी देश के खिलाफ नहीं होगा, पर सबको पता है कि इस शर्त का पालन पाकिस्तान ने नहीं किया. अमेरिका जैसे देशों को अपने हथियार बेचने होते हैं और जो देश भुगतान नहीं कर पाते, वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. इस मामले में अमेरिका और चीन के रवैये में अंतर नहीं है. बड़े देश भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए इस तरह की हरकतें करते हैं.

मेरा मानना है कि भारत में जमीनी स्तर पर अमेरिका को लेकर जो अविश्वास है, वह उसकी ऐसी हरकतों के कारण ही है. आज भारत आर्थिक प्रगति की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और अमेरिका अगर यह समझता है कि भारत एक बड़ा अवसर है, सबसे बड़ा लोकतंत्र है और उसके साथ संबंध गहरे करने की जरूरत है, तो उसे ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे भारत की सुरक्षा पर असर पड़ता हो. कूटनीतिक विरोध के अलावा हम आपने नये युद्धपोत विक्रांत के लिए आवश्यक लड़ाकू विमानों की खरीद फ्रांस या अन्य देशों से कर अमेरिका को एक कड़ा संदेश दे सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें