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Ayurveda : आयुर्वेद को बढ़ावा

Ayurveda : वर्ष 2016 से आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है. इस दिवस पर होने वाले आयोजनों तथा आयुर्वेद के विकास के प्रयासों ने इस पद्धति को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया है. योग की तरह आयुर्वेद में भी विदेशियों की रुचि बढ़ती जा रही है.

Ayurveda : धन्वंतरि जयंती एवं आयुर्वेद दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ीं अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन किया तथा नयी परियोजनाओं की आधारशिला रखी. इन परियोजनाओं की लागत लगभग 12,850 करोड़ रुपये है. उन्होंने आशा जतायी है कि प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद मानवता के स्वस्थ जीवन के लिए उपयोगी बनी रहेगी. बीते एक दशक में मोदी सरकार द्वारा आयुर्वेद एवं अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय के गठन के साथ-साथ अनेक केंद्र एवं संस्थान स्थापित किये गये हैं.

वर्ष 2016 से आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है. इस दिवस पर होने वाले आयोजनों तथा आयुर्वेद के विकास के प्रयासों ने इस पद्धति को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया है. योग की तरह आयुर्वेद में भी विदेशियों की रुचि बढ़ती जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी का विशेष ध्यान इस बात पर रहा है कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान से संबद्ध किया जाए. इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में आयुर्वेद के एक उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना की गयी है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित इस केंद्र में मधुमेह और चयापचयी समस्याओं पर अध्ययन किया जायेगा. दिल्ली स्थिति अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण की घोषणा भी महत्वपूर्ण है. इस चरण के अंतर्गत एक पंचकर्म अस्पताल, आयुर्वेदिक फार्मेसी, खेल चिकित्सा इकाई तथा सूचना-तकनीक एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने के केंद्र शामिल हैं.

आयुर्वेद दिवस पर घोषित योजनाओं में विभिन्न एम्स संस्थानों के विस्तार, तीन नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, आयुष्मान भारत बीमा योजना में हर आय वर्ग के 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को शामिल करना आदि भी हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ का भी शुभारंभ किया है. इस अभियान में स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बचाव के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता प्रसार की योजना है. यह स्थापित तथ्य है कि खान-पान में असावधानी और व्यस्त आधुनिक जीवन शैली कई बीमारियों का कारण बन रही हैं. इनके उपचार के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने में आयुर्वेद बड़ा सहारा बन सकता है.

आयुर्वेद के नाम पर होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए भी सरकार ने कदम उठाया है. उल्लेखनीय है कि बीते एक दशक में स्वास्थ्य के मद में केंद्र सरकार के बजट आवंटन में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2013-14 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 37,330 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, जबकि 2024-25 के केंद्रीय बजट में यह आवंटन 90,658.63 करोड़ रुपये हो गया है. स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ पोषण अभियान तथा स्वच्छ पेयजल उपलब्धता भी सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में हैं.

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