प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा है कि वे बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नवोन्मेषी उपाय खोजें. उन्होंने 108वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए रेखांकित किया कि हमारी ऊर्जा आवश्यकताएं निरंतर बढ़ती जायेंगी. उल्लेखनीय है कि हम अधिकांश आवश्यकता की पूर्ति आयातित जीवाश्म-आधारित स्रोतों से करते है. इससे देश की पूंजी तो बाहर जाती ही है, साथ ही पर्यावरण संबंधी समस्याएं भी पैदा होती हैं.
हालांकि हम तेजी से स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा रहे हैं, पर देश को नये नये विकल्प खोजने की आवश्यकता है. भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया में सबसे अधिक गति से वृद्धि कर रही है. हमें देश को विकसित अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने के लिए वृद्धि दर को बढ़ाना भी है. इसके लिए बुनियादी जरूरत ज्यादा ऊर्जा की है. प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान इस तथ्य की ओर दिलाया है कि दुनिया की आबादी का 17-18 फीसदी हिस्सा भारत में बसता है.
इतनी बड़ी संख्या के जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए ऐसे वैज्ञानिक विकास की आवश्यकता है, जिससे सभी को लाभ हो. उन्होंने देश को आत्मनिर्भर बनाने में विज्ञान के योगदान की जरूरत भी बतायी है. स्वच्छ ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के विकास के साथ-साथ भारत हाइड्रोजन ऊर्जा की महती संभावनाओं को साकार करने के महत्वाकांक्षी अभियान में जुटा हुआ है. इस संबंध में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना 15 अगस्त, 2021 को की जा चुकी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने उचित ही कहा है कि इस अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके लिए आवश्यक साजो-सामान देश में ही बनें. यह वैज्ञानिकों के प्रयासों से ही संभव हो सकता है. विज्ञान कांग्रेस की थीम ‘महिला सशक्तीकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान एवं तकनीक’ है. आयोजन में विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, गणित, शोध अवसर तथा आर्थिक भागीदारी में महिलाओं की समान पहुंच पर विचार-विमर्श किया जायेगा. किसी अन्य क्षेत्र की तरह विज्ञान और तकनीक में भी विकास समावेशी सोच से संभव है.
प्रधानमंत्री मोदी ने थीम पर प्रसन्नता जतायी है तथा सतत विकास एवं महिला सशक्तीकरण के अंतरसंबंधों पर जोर दिया है. उन्होंने कहा है कि हमारी सोच केवल यही नहीं है कि विज्ञान के जरिये महिलाओं का सशक्तीकरण हो, बल्कि हम महिलाओं के योगदान से विज्ञान को भी सशक्त करना चाहते हैं. विभिन्न क्षेत्रों में भारत तीव्र गति से विकास कर रहा है. ऐसे में शोध के परिणामों को उपयोग में लाना आवश्यक है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर जोर देते हुए कहा है कि नतीजों को जर्नल से जमीन पर उतारा जाना जरूरी है.