अग्निपथ पर सेना
देश की एकता एवं अखंडता की सुरक्षा करते हुए शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करना और एक सैनिक के रूप में जीवन यात्रा में शामिल होना निश्चित रूप से एक उत्कृष्ट अनुभव होगा.
भारतीय सशस्त्र सेनाओं में भर्ती की दशकों पुरानी प्रक्रिया में बदलाव करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा नयी योजना की घोषणा की गयी है. इस अग्निपथ योजना के तहत अधिकारी श्रेणी से नीचे के सैनिकों का सेवा काल अब चार वर्ष का होगा. इसी अवधि में 10 सप्ताह से लेकर छह माह तक का प्रशिक्षण दिया जायेगा. वर्तमान समय में हमारी तीनों सेनाओं के एक सैनिक की औसत आयु 32 वर्ष है. नयी प्रणाली से इसके आगामी छह-सात वर्षों में घटाकर 24 से 26 वर्ष के स्तर पर आने की अपेक्षा है. इस सुधार का उद्देश्य शारीरिक रूप से सेना को अधिक सक्षम बनाने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए तकनीकी रूप से दक्ष सैन्य शक्ति के रूप में भी स्थापित करना है.
वैश्विक परिदृश्य इंगित कर रहे हैं कि आधुनिक युद्धों का स्वरूप निरंतर बदलता जा रहा है. परंपरागत संघर्षों के साथ तकनीक-आधारित लड़ाइयां भी महत्वपूर्ण होती जा रही हैं. ऐसे में सैन्य नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी. रिपोर्टों की मानें, तो अग्निपथ योजना का एक लक्ष्य पूरे देश के युवाओं को सेना में सेवा देने के लिए समान अवसर प्रदान करना भी है. चार वर्ष के सेवा काल के बाद मुक्त होनेवाले सैनिकों में से 25 प्रतिशत जवानों को सेना में ही अतिरिक्त 15 वर्ष के लिए नियमित सेवा के लिए भर्ती कर लिया जायेगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह आश्वासन भी दिया है कि अग्निपथ योजना के तहत चार साल का सेवा काल पूरा करनेवाले को अर्द्धसैनिक बलों और असम राइफल्स में भर्ती में वरीयता दी जायेगी. इससे सुरक्षा बलों की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी आयेगी और सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित करने का दबाव भी कम होगा. इससे चार साल के बाद सैनिकों के रोजगार की चिंता का भी बहुत हद तक समाधान हो सकेगा. अग्निपथ योजना में साढ़े सत्रह साल से 21 साल के युवाओं को भर्ती किया जायेगा. इस वर्ष 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती की योजना है. इन्हें आकर्षक वेतन के साथ बीमा आदि की सुविधाएं भी होंगी तथा सेवानिवृत्त होने पर सेवा निधि भी दी जायेगी.
सैनिक के रूप में सेवा काल के दौरान हासिल किये गये कौशल, गुण, चारित्रिक विशेषताओं आदि के लिए प्रमाणपत्र भी दिया जायेगा. इससे बाद में अच्छा रोजगार पाने में मदद मिलेगी. इस सीख को स्नातक शिक्षा के लिए क्रेडिट में बदलने तथा विशेष पाठ्यक्रम बनाने के संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से पहल की जा रही है. देश की एकता एवं अखंडता की सुरक्षा करते हुए शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करना और एक सैनिक के रूप में जीवन यात्रा में शामिल होना निश्चित रूप से एक उत्कृष्ट अनुभव होगा. इस योजना को लागू करते हुए अनेक पूर्व सैन्य अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों द्वारा की गयी आलोचना का भी संज्ञान लिया जाना चाहिए ताकि इसे और भी बेहतर बनाया जा सके और कमियों को दूर िकया जा सके़