इंग्लैंड में खेले जा रहे टेस्ट मैचों में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन असली चुनौती आगामी आइसीसी टी20 वर्ल्ड कप को लेकर है. भारत ने अरसे से कोई वर्ल्ड कप नहीं जीता है. ऐसे में सुखद खबर आयी कि महेंद्र सिंह धौनी को टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का मार्गदर्शक नियुक्त किया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह इस बात का संकेत भी है कि भविष्य में धौनी को कोई बड़ी भूमिका मिल सकती है और मुख्य कोच के रूप में रवि शास्त्री की अब चला-चली की बेला है.
बीसीसीआइ सचिव जय शाह ने धौनी को भारतीय टीम में मार्गदर्शक बनाने की अचानक घोषणा कर क्रिकेट प्रेमियों को एक सुखद खबर दी. धौनी अपने तेज निर्णय कौशल के लिए जाने जाते हैं और कोहली-धौनी की जोड़ी वर्ल्ड कप में टीम के लिए मंगलकारी साबित हो सकती है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि धौनी की उपस्थिति मात्र से टीम के मनोबल में कितनी बढ़ोतरी होगी. वे भारतीय क्रिकेट इतिहास में सबसे सफल कप्तानों में गिने जाते हैं.
वे दुनिया के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में किसी टीम ने आइसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती हैं- 2011 का विश्व कप, 2007 का टी20 विश्व कप और 2013 में आइसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी. धौनी अभी अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के साथ हैं और संयुक्त अरब अमीरात में 19 सितंबर से फिर शुरु होनेवाले आइपीएल मैचों की तैयारी में जुटे हैं.
वैसे तो एक वरिष्ठ खिलाड़ी के रूप में धौनी हमेशा भारतीय टीम के लिए एक मार्गदर्शक रहे हैं. सुनील गावस्कर समेत अन्य अनेक पूर्व क्रिकेटरों ने इस कदम का स्वागत किया है. अपनी प्रतिक्रिया में गावस्कर ने एक समस्या के बारे में भी आगाह किया है. उनका कहना है कि शास्त्री और धौनी का तालमेल अगर अच्छा रहा, तो टीम को काफी फायदा होगा, लेकिन यदि रणनीति और चयन को लेकर दोनों के बीच असहमति होती है, तो टीम पर थोड़ा असर पड़ सकता है.
गावस्कर ने 2004 की एक घटना का जिक्र किया, जब वे सलाहकार के रूप में भारतीय टीम से जुड़े, तो तत्कालीन मुख्य कोच जॉन राइट को अपनी भूमिका के बारे में चिंता होने लगी थी. वैसे तो यह कोई नयी बात नहीं है, लेकिन तत्काल एक लॉबी धौनी के खिलाफ सक्रिय हो गयी. खबरें आयीं कि मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के एक पूर्व अधिकारी ने हितों के टकराव के नियम का हवाला देकर धौनी को मार्गदर्शक बनाने के खिलाफ शिकायत की है, जिसमें दावा किया है कि बीसीसीआइ संविधान के अनुसार एक व्यक्ति दो हित वाले पदों पर नहीं रह सकता है.
पत्र में कहा है कि धौनी आइपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान भी हैं और अब उन्हें टी20 टीम का मार्गदर्शक भी बना दिया गया है. सब जानते हैं कि धौनी पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले चुके हैं और अब सिर्फ आइपीएल खेल रहे हैं. इस शिकायत का कोई तार्किक आधार नहीं है. आइपीएल के बाद विश्व कप खेला जायेगा और किसी को नहीं पता है कि धौनी अगले आइपीएल सीजन में खेलेंगे या नहीं. साथ ही, मार्गदर्शक का टीम के चयन में दखल नहीं होता है. उसका काम सिर्फ मैच के दौरान खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करना होता है.
याद करें, दो साल पहले धौनी के जन्मदिन से ठीक पहले क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय संस्था आइसीसी ने ट्वीट कर धौनी की तारीफ में लिखा- एक नाम, जिसने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया, एक नाम, जो दुनियाभर में लोगों को प्रेरणा दे रहा है. आइसीसी के वीडियो में आम क्रिकेट फैन के अलावा साथी खिलाड़ी और कुछ विदेशी क्रिकेटर धौनी के बारे में अपनी राय रख रहे हैं. उसमें विराट कोहली कह रहे थे कि जब वे पहली बार भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में गये थे, तब महेंद्र सिंह धौनी उनके कप्तान थे और वे हमेशा उनके कप्तान रहेंगे. जब वे कप्तान नहीं थे, तब भी वे हमेशा टीम के अघोषित मार्गदर्शक की भूमिका में रहते थे.
धौनी में गजब का कौशल है. क्रिकेट को कोई शॉट देनेवाले खिलाड़ी उंगलियों पर गिने जा सकते हैं. धौनी उनमें से एक हैं. उन्होंने हेलिकॉप्टर शॉट दिया और आज दिग्गज खिलाड़ी उसे लगाने की कोशिश करते हैं. क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि धौनी इसलिए महान हैं, क्योंकि वह दबाव में भी सटीक निर्णय ले सकते हैं. उनमें मुश्किल परिस्थितियों में भी खुद को शांत रखने की गजब की क्षमता है. उनके फैसलों ने भारत को अनेक बार जीत दिलायी है.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन धौनी को सीमित ओवर का इस दौर का सर्वश्रेष्ठ कप्तान मानते हैं. धौनी को उनकी कप्तानी और विकेटकीपिंग दोनों के लिए जाना जाता है. आइपीएल मैचों में भी आपने गौर किया होगा कि वे विकेट के पीछे से गेंदबाजों को लगातार हिदायत देते रहते हैं. स्पिनर के वक्त तो उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है. धौनी गेंदबाजों को खराब गेंद डालने पर झिड़कते भी हैं. हालांकि विकेट का सारा श्रेय गेंदबाजों को मिलता है और हम अक्सर धौनी के योगदान की अनदेखी कर जाते हैं.
यह अनुभव और विशेषता किसी अन्य विकेटकीपर में कहां मिलेगी! जब वे भारतीय टीम में थे, तो रिव्यू लेने के मामले में धौनी का निर्णय अंतिम होता था. वनडे मैचों में 100 से अधिक स्टंपिंग करनेवाले वे दुनिया के एकमात्र विकेटकीपर हैं. उनकी तेजी और फुर्ती में आज भी कोई कमी नहीं है. पलक झपकते ही वह बल्लेबाज की गिल्लियां उड़ा देते हैं.
मैं पहले भी कहता आया हूं कि धौनी का सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट का चाल, चरित्र और चेहरा बदल दिया है. इसके पहले भारतीय टीम में केवल मुंबई और दिल्ली के खिलाड़ियों का बोलबाला था. झारखंड से निकले इस क्रिकेटर ने न केवल टीम में जगह बनायी, बल्कि उसे नयी ऊंचाइयों तक ले गया. उसने टीम का न केवल सफल नेतृत्व किया, बल्कि छोटी जगहों से आनेवाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए टीम में आने का रास्ता भी खोला.
कपिल देव को छोड़ दें, तो इसके पहले टीम में ज्यादातर बड़े शहरों से आये अंग्रेजीदां खिलाड़ियों का ही वर्चस्व रहा है. धौनी ने इस परंपरा को बदला और भारतीय क्रिकेट टीम को तीनों फॉर्मेट में सफल नेतृत्व प्रदान किया. इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि उन्होंने झारखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है. धौनी जैसे खिलाड़ी दशकों में एक बार आते हैं. हम उनके अनुभव से कैसे लाभ उठा सकते हैं, इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.