कृषि विकास की नयी संभावनाएं
नये वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गठित की जानेवाली कृषि विकास कमेटी द्वारा प्राकृतिक खेती को उच्च प्राथमिकता दी जायेगी.
नये साल के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 10वीं किस्त के तहत 10.9 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 20946 करोड़ रुपये हस्तांतरित करते हुए कहा कि अब कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) के माध्यम से किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण का नया अध्याय लिखा जायेगा. कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों को लाभ पहुंचाने हेतु अधिकतम प्रयासरत हैं.
नये वर्ष में ऊंची विकास दर की उम्मीद से भरी अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है. ब्रिटिश कंसल्टेंसी सेब्र की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था पहली बार तेजी से आगे बढ़ते हुए करीब तीन ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकती है. इसमें कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका होगी.
वर्ष 2022 में कोरोना की चुनौतियों के बीच भी हमारी अर्थव्यवस्था में कृषि का वैसा ही मजबूत आधार बना रहेगा, जैसा बीते दो सालों में रहा है. इन दो वर्षों में जीडीपी में कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है, जिसमें लगातार विकास दर बढ़ी है. कोविड में देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था थम गयी थी, लेकिन कृषि का पहिया चलता रहा. किसानों ने बंपर पैदावार की और सरकार ने भी बंपर खरीद की. अब 2022 में कृषि एक बार फिर अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करती हुई दिख सकेगी.
इस नये वर्ष में कृषि विकास की ऊंची उम्मीदों को साकार करने और देश के करोड़ों छोटे किसानों को मुस्कुराहट देने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों पर विशेष ध्यान देना होगा. वर्ष 2022 में कृषि क्षेत्र में खाद्यान्न, तिलहन और दलहन उत्पादन बढ़ाने के और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होगी. वर्ष 2020-21 में देश में खाद्यान्न उत्पादन करीब 308.60 मिलियन टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुका है.
इसी तरह 2020-21 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन रिकॉर्ड 36.10 मिलियन टन और दालों का रिकॉर्ड उत्पादन 25.7 मिलियन टन पर पहुंचा है. इसके साथ, 2021-22 (जुलाई से जून) के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ फसल का उत्पादन 150.50 मिलियन टन होने का अनुमान है. खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के प्रोत्साहनों के साथ केंद्र सरकार ने तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 11,040 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) को लागू किया है. इसके क्रियान्वयन पर अधिकतम ध्यान दिया जाना चाहिए.
नये वर्ष 2022 में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खाद्य प्रसंस्कृत क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाना होगा. खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए जून, 2021 से केंद्र सरकार द्वारा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना के तहत इस क्षेत्र के उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया जा चुका है. इस योजना को ठीक ढंग से क्रियान्वित करके छोटे किसानों की आमदनी में बड़ी वृद्धि की जा सकती है.
वर्ष 2022 में देश से कृषि उत्पादों और मसालों के निर्यात बढ़ाने से संबंधित संभावनाओं को साकार करने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा. विश्व व्यापार संगठन द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के मुताबिक दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है. उल्लेखनीय है कि विश्व बाजार में पिछले दो वर्षों में भारत के कृषि उत्पादों और मसालों की खुशबू की धमक बहुत अधिक बढ़ी है.
मिर्च, अदरक, हल्दी और जीरे वाली फसलों का निर्यात शानदार रहा है. चूंकि देश में मसाले की खेती में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है, अतएव इसका असर वैश्विक बाजार में मसालों के निर्यात पर पड़ा है. वर्ष 2014-15 में जहां 67.64 लाख टन मसालों का उत्पादन किया गया था, वहीं यह वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1.07 करोड़ टन हो गया है. देश से चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि निर्यात के 43 अरब डॉलर के लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर लिया जायेगा. आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात के 50 अरब डॉलर के मूल्य तक पहुंचने की उम्मीद है.
किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए उन्हें 22 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड दिये गये हैं. देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिनकी ताकत बढ़ाने के लिए 6,850 करोड़ रुपये के खर्च से 10 हजार एफपीओ बनाना प्रारंभ किया गया है. साथ ही, किसानों को वाजिब दाम दिलाने व उनकी माली हालत सुधारने तथा सभी सुविधाएं सहजता से उपलब्ध कराने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड से कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है.
देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और वैज्ञानिकों की भूमिका और महत्वपूर्ण बनायी जा रही है. फसलों में विविधीकरण और उन्नत बीजों के अाविष्कार में इनकी प्रभावी भूमिका रही है. निश्चित रूप से कृषि विकास के इन आधारों पर 2022 में कृषि क्षेत्र को अधिक ऊंचाई और खुशहाली मिलते हुए दिखायी दे सकेगी.
यद्यपि एक दिसंबर, 2021 को तीन कृषि कानून राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद औपचारिक रूप से वापस हो गये हैं, लेकिन इन कृषि कानूनों के वापस होने के बाद अब कृषि की विकास दर बढ़ाने और छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों की जरूरत बनी हुई हैं.
उम्मीद है कि इस नये वर्ष में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित की जानेवाली कृषि विकास कमेटी द्वारा प्राकृतिक खेती को उच्च प्राथमिकता दी जायेगी. कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाये जाने के संबंध में नयी रूपरेखा तैयार की जायेगी. किसानों को लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री आशा योजना और भावांतर भुगतान योजना जैसी किसी नयी योजना को लागू किया जाना है.
ऊंचे दाम वाली विविध फसलों के उत्पादन को विशेष प्रोत्साहन दिये जायेंगे और छोटे किसानों के जन-धन खातों में अधिक नकदी हस्तांतरण से उनकी आमदनी में बढ़ोतरी करने जैसे कदम भी उठाये जायेंगे. ऐसे में हम उम्मीद कर सकते हैं कि वर्ष 2022 में एक बार फिर कृषि क्षेत्र में रिकॉर्ड उत्पादन होगा, कृषि निर्यात में बढ़ोतरी होगी तथा किसानों की आमदनी बढ़ेगी. साथ ही, इससे ग्रामीण भारत की समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.