विकास अस्त्र से जातिगत समीकरण छिन्न-भिन्न
विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के जातिगत समीकरणों के चक्रव्यूह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की डबल इंजन की योगी आदित्यनाथ सरकार के ‘विकास अस्त्र’ ने भेद डाला.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के जातिगत समीकरणों के चक्रव्यूह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की डबल इंजन की योगी आदित्यनाथ सरकार के ‘विकास अस्त्र’ ने भेद डाला. यह समूचे लोकतंत्र के लिए एक सुखद संकेत भी है कि जनता अब जातिगत खांचों में बंटने की बजाय समग्र समाज के हित का चिंतन कर रही है और उसी के अनुरूप जनादेश दे रही है.
उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड में भी भाजपा को लगातार दूसरी बार दो-तिहाई बहुमत से विजय मिली. मणिपुर में जहां भाजपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की, वहीं गोवा में भी भाजपा ने 10 साल के शासन के बाद भी अपनी सीट और वोट शेयर बढ़ाते हुए सत्ता में वापसी की.
भाजपा की यह ऐतिहासिक विजय प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व, उनकी गरीब कल्याण नीतियों और उनके मार्गदर्शन में भाजपा की डबल इंजन वाली राज्य सरकारों के सुशासन एवं योजनाओं के क्रियान्वयन के कारण ही संभव हो पाया. पांच साल पहले भी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार थी, पर विकास सिर्फ सत्ताधीश के अपने गृह क्षेत्र तक सीमित होकर रह गया था और जनकल्याण सिर्फ उनके परिवार तथा इर्द-गिर्द रहनेवाले नेताओं तक.
कानून व्यवस्था सत्ता पोषित माफिया का शागिर्द का पर्याय बना, तो शासन की नीति का पहला फार्मूला रहा तुष्टिकरण. अर्थव्यवस्था का सहज आकलन इसी बात से कर लीजिए कि यह प्रदेश सर्वाधिक मानव संसाधन होने के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था की शीर्ष पांच की सूची में भी नहीं था.
साल 2017 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष एवं वर्तमान केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चुनाव के दौरान कहा कि यदि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा को जनादेश मिलता है, तो भाजपा की सबसे प्रमुख प्राथमिकता कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना और विकास को जन-जन तक पहुंचाना होगी. राज्य की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की विकास यात्रा को और मजबूती देते हुए भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया और उत्तर प्रदेश में कुशासन को करारा सबक सिखाया.
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सभी कल्याण योजनाओं को बिना किसी भेदभाव के जन-जन तक पहुंचाने का अभियान शुरू किया. इन चुनावों में विपक्ष जातिगत गोलबंदी और तुष्टिकरण की राजनीति की परंपरागत रणनीति से ही चुनाव मैदान उतरा, लेकिन विकास और जन संतुष्टि के आगे यह धराशायी हो गयी. इसके साथ ही 37 साल से जारी यह मिथक भी टूट गया कि प्रदेश की जनता सत्ताधारी दल को लगातार दोबारा जनादेश नहीं देती.
वास्तव में भाजपा ने 2022 के लिए कोई चुनावी फॉर्मूला नहीं तैयार किया, बल्कि पांच साल मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार सिर्फ विकास और जन कल्याण पर केंद्रित रही. यहां उत्तर प्रदेश की चर्चा इसलिए जरूरी है कि यह न केवल देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, बल्कि यह देश का मूड भी दिखाता है.
पांच साल में कारोबारी सुगमता और देश की अर्थव्यवस्था में पूरे देश में पहला स्थान हासिल कर लेना बदलाव की तस्वीर को साफ कर देता है. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के मामले में कई एक्सप्रेसवे समेत आधा दर्जन से अधिक प्रोजेक्ट और इन एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारों की बात हो या फिर कुशीनगर और जेवर के इंटरनेशनल एयरपोर्ट समेत कई शहरों के बीच नयी और मजबूत एयर कनेक्टिविटी की, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज योजना के क्रियान्वयन की या दो नये एम्स के साथ कई सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सेवाओं की,
पांच लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देते हुए पौने चार लाख करोड़ के निवेश को धरातल पर उतार कर करीब दो करोड़ लोगों को सेवायोजित करने और एक जिला-एक उत्पाद योजना के जरिये हर जिले के पारंपरिक शिल्प या कुटीर उद्योग को व्यवस्थित उद्योग का दर्जा देकर सीधे अर्थव्यवस्था से जोड़ने की, विकास के लिए हर क्षेत्र में मोदी-योगी की जोड़ी ने रफ्तार तेज रखी.
योगी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही प्रदेश के 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का कृषि ऋण एक झटके में माफ कर दिया गया था. किसानों के हित में दशकों से लंबित सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सागर परियोजना सहित 18 सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण किया गया. हर गांव तक निर्बाध बिजली आपूर्ति से सिंचाई का संकट पूरी तरह समाप्त हो गया है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खाद्यान्न खरीद व भुगतान का रिकॉर्ड भी योगी सरकार ने बनाया है. इस कड़ी में डेढ़ लाख करोड़ रुपये का रिकार्ड गन्ना मूल्य का भुगतान, बस्ती के मुंडेरवा व गोरखपुर के पिपराइच में चीनी के साथ बिजली बनानेवाली मिलों की स्थापना और सभी मिलों को अनवरत चलाने की बात भी अन्नदाता कहां भूल सकता है! देश में सर्वाधिक 2.54 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ भी उत्तर प्रदेश में ही मिला है.
राज्य में पीएम-सीएम आवास योजना के तहत 43.50 लाख गरीबों को फूस की झोपड़ियों से मुक्ति दिलाकर उन्हें पक्के मकानों की सौगात दी गयी तथा 2.61 करोड़ गरीब परिवारों को शौचालय बनवाकर सुरक्षित और गरिमामय जीवन दिया गया. विद्युतीकृत कर सौभाग्य योजना के तहत 1.21 लाख गांवों को 1.43 करोड़ परिवारों को निशुल्क बिजली कनेक्शन दिया गया तथा 1.67 करोड़ को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देकर महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलायी गयी.
गरीबों के इलाज में कोई व्यवधान न आए, इसके लिए 10 करोड़ परिवारों को को पीएम-सीएम आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराया गया. लोक कल्याण के ये कार्य तो उदाहरण मात्र हैं, असल फेहरिस्त बहुत लंबी है. जब आप जनता के लिए बिना भेदभाव सोचते और करते हैं तो जनता के लिए आप ही एकमात्र सशक्त विकल्प होते हैं. उत्तर प्रदेश का जनादेश मोदी-योगी पर भरोसे, उनके विकास कार्यों और अमित शाह एवं जगत प्रकाश नड्डा के प्रबंधन के नाम याद रखा जायेगा.(ये लेखक के निजी विचार हैं.)