इस मॉनसून से लाभ का अवसर
मॉनसून का प्रभाव न केवल देश के करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी और रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है, वरन समाज, कला, संस्कृति और लोक जीवन पर भी मॉनसून का सीधा प्रभाव होता है.
कोरोना की दूसरी घातक लहर से उत्पन्न आर्थिक और औद्योगिक चुनौतियों के बीच कृषि क्षेत्र में सुकूनभरी उम्मीदें दिख रही हैं. मॉनसून के अच्छे रहने के संबंध में अनेक अध्ययन रिपोर्टें प्रस्तुत हुई हैं और जून की शुरुआत से ही मॉनसून ने दस्तक दे दी है. हाल ही में फसल वर्ष 2020-21 से संबंधित खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान प्रस्तुत किये गये हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कहा है कि महामारी बढ़ने के बीच अच्छा मॉनसून महंगाई रोकने और अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद है.
मौसम विभाग ने कहा है कि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मॉनसून दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 98 फीसदी यानी सामान्य रह सकता है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के तहत जून से सितंबर के बीच बारिश होती है. अगर बारिश इन महीनों में 96 से 104 फीसदी के बीच रहती है तो उसे सामान्य कहा जाता है. अब तक मॉनसून एवं वर्षा के पूर्वानुमान के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा था, वह नियमित अंतराल पर पूर्वानुमान बताने के लिए पर्याप्त नहीं थी.
ऐसे में मौसम विभाग द्वारा जून से सितंबर की अवधि के लिए मासिक आधार पर लॉन्ग रेंज फॉरकास्ट (एलआरएफ) दिये जाने से देश के किसान और देश का संपूर्ण कृषि क्षेत्र अधिक लाभान्वित होगा. कृषि मंत्रालय द्वारा जारी चालू फसल वर्ष 2020-21 के लिए मुख्य फसलों के तीसरे अग्रिम अनुमान को देखें तो स्पष्ट है कि कोरोना आपदा के बावजूद खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.54 करोड़ टन अनुमानित है.
यह पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले 79.4 लाख टन अधिक है. नौ जून को केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है. इस बार दलहन और तिलहन के एमएसपी में सर्वाधिक बढ़ोतरी किये जाने से खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ेगी. कृषि मंत्री के मुताबिक सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत किसानों को आर्थिक मदद और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से कृषि क्षेत्र में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
कोविड-19 की पहली लहर में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के बीच कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है, जिसने सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की. आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया है कि कृषि की विकास दर में करीब तीन फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. ऐसे में जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 17.8 फीसदी से बढ़कर 19.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती है. वर्ष 2021 में कृषि उत्पादन और अच्छा मॉनसून देश के आर्थिक-सामाजिक सभी क्षेत्रों की खुशियां बढ़ायेगा.
देश में करीब 60 फीसदी से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर होती है. मॉनसून का प्रभाव न केवल देश के करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी और रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है, वरन समाज, कला, संस्कृति और लोक जीवन पर भी मॉनसून का सीधा प्रभाव होता है. चूंकि, कृषि आधारित कच्चे माल वाले उद्योग और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सीधे तौर पर कृषि उत्पादन से संबंधित हैं, अतएव देश के लिए 2021 में अच्छे मॉनसून की बड़ी अहमियत है.
रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कोरोना की दूसरी लहर की चुनौतियों के बीच गरीब वर्ग की अतिरिक्त खाद्यान्न जरूरतों की पूर्ति में अहम भूमिका निभायेगा. भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक देश में 1 अप्रैल, 2021 को सरकारी गोदामों में करीब 7.72 करोड़ टन खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार है, जो बफर आवश्यकता से करीब तीन गुना है. ऐसे में एक बार फिर केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गयी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर 2021 तक खाद्यान्न की अतिरिक्त आपूर्ति को भी सरलता से पूरा किया जा सकेगा.
खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन के मद्देनजर देश की खाद्यान्न संबंधी विभिन्न जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ उपयुक्त मात्रा में खाद्यान्न का निर्यात भी किया जा सकेगा. कोरोना की आर्थिक चुनौतियों के बीच इस समय देश के कृषि परिदृश्य पर विभिन्न अनुकूलताएं हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र की भरपूर प्रगति और अच्छे मॉनसून का लाभ लेने के कई बातों पर विशेष ध्यान देना होगा. सरकार द्वारा कृषि उपज का अच्छा विपणन सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है. इससे ग्रामीण इलाकों में मांग में वृद्धि की जा सकेगी.
ग्रामीण मांग बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सेक्टर बढ़ सकेंगे. खराब होनेवाले कृषि उत्पादों जैसे फलों ओर सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना जरूरी है. वर्ष 2020 से शुरू की गयी किसान ट्रेनों के माध्यम से कृषि एवं ग्रामीण विकास को नया आयाम देना होगा.
किसान ट्रेन से किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी, साथ ही उपभोक्ताओं को उचित कीमत पर फलों तथा सब्जियों की प्राप्ति होगी. सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के जिस कृषि बुनियादी ढांचा कोष का निर्माण किया है, उसका शीघ्रतापूर्वक आवंटन आवश्यक है. अच्छे कृषि बुनियादी ढांचे से फसल तैयार होने के बाद होनेवाले नुकसान में कमी आ सकेगी.
उम्मीद है कि कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच सरकार बेहतर कृषि के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के तहत घोषित की गयी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी. साथ ही 2021 में कोरोना की दूसरी घातक लहर से निर्मित आर्थिक चुनौतियों के बीच एक बार फिर कृषि देश के आम आदमी और अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक सहारे के रूप में दिखायी देगी.