कठिन है खोया आधार नंबर जानना
आधार नंबर खो जाने के कारण बिहार और झारखंड में कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें किसी भी सामाजिक योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खोये हुए आधार नंबर को ढूंढना हमारे और आपके लिए शायद मामूली प्रक्रिया होगी, लेकिन वंचित लोगों के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. हाल में एक गरीब मुसहर महिला रीना देवी का संघर्ष आधार की मूल संरचना में इस चिंताजनक त्रुटि को उजागर करता है. बहुत से लोगों के पास आधार संख्या का एक ही दस्तावेज होता है- उनका आधार कार्ड. रीना के अनुभव से हमें पता चला कि आधार कार्ड खो जाने पर कैसे एक परिवार को सभी सामाजिक योजनाओं के लाभ से वंचित होने का खतरा है.
आधार नंबर खो जाने के कारण बिहार और झारखंड में कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें किसी भी सामाजिक योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खोये हुए आधार नंबर को ढूंढना हमारे और आपके लिए शायद मामूली प्रक्रिया होगी, लेकिन वंचित लोगों के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. हाल में एक गरीब मुसहर महिला रीना देवी का संघर्ष आधार की मूल संरचना में इस चिंताजनक त्रुटि को उजागर करता है. बहुत से लोगों के पास आधार संख्या का एक ही दस्तावेज होता है- उनका आधार कार्ड. रीना के अनुभव से हमें पता चला कि आधार कार्ड खो जाने पर कैसे एक परिवार को सभी सामाजिक योजनाओं के लाभ से वंचित होने का खतरा है.
रीना अपने दो छोटे बच्चों और सास-ससुर के साथ मुजफ्फरपुर जिले के किनारू गांव में रहती हैं. इस युवा दलित महिला से पिछले साल अक्तूबर में हमारी मुलाकात होने से कुछ दिन पहले उनके पति का निधन हो गया था. रीना के परिवार के लिए दो वक्त का भोजन जुटा पाना पहले ही बहुत मुश्किल था, अब दिहाड़ी मजदूरी से जो कुछ आमदनी थी, वह भी नहीं रही. राशन कार्ड, जॉब कार्ड, बैंक खाता और विधवा पेंशन के लिए रीना मूल रूप से अधिकृत हैं, लेकिन उनके पास इनमें से कुछ भी नहीं है, क्योंकि उनका आधार कार्ड खो गया है. इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आधार की सख्त जरुरत है. बिना हमारी मदद के रीना को अपना खोया हुआ आधार नंबर कभी नहीं मिलता. यहां तक कि हमारी यूनिवर्सिटी डिग्री और संसाधनों के बावजूद खोये हुए आधार की गुत्थी सुलझाने में कई महीने लग गये. रीना का आधार तो मिला, लेकिन कई तरह की विशेष मदद के बाद.
शुरुआती दौर में हमने सभी स्थानीय उपाय आजमाये. हम में से एक (व्योम) रीना के साथ उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक स्थित आधार नामांकन केंद्र गये, वहां से तुर्की प्रखंड मुख्यालय, फिर मुजफ्फरपुर में डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार कम कॉन्सेलिंग सेंटर और फिर वहां से इंडिया पोस्ट ऑफिस, मुजफ्फरपुर स्थित आधार नामांकन केंद्र. भाग-दौड़ का यह सिलसिला हफ्तों तक चला. हमारा भी दिमाग खराब होने लगा था. किसी को नहीं पता था कि रीना को उसका खोया हुआ आधार कहां से मिलेगा. फोन पर आधार प्राधिकरण सहायता केंद्र से पता चला कि रीना को उनका आधार नंबर वापस मिल जायेगा, अगर वे अपना नाम, पता, पिन कोड और जन्मतिथि सही-सही बता दें, लेकिन रीना को अपने जन्मतिथि का कोई अंदाजा नहीं था. आधार वेबसाइट पर भी उन्हीं लोगों को आधार ढूंढने की सुविधा थी, जिनके पास पंजीकृत मोबाइल नंबर या ईमेल है.
आधार प्राधिकरण सहायता केंद्र के प्रतिनिधि ने तीन दिसंबर, 2020 को रीना को नये आधार के लिए आवेदन करने की सलाह दी. नये आवेदन से रीना का आधार संख्या पता चलेगा या नहीं, यह स्पष्ट नहीं था. फिर भी रीना ने उसी दिन नया आवेदन किया और 29 दिसंबर को आवेदन के दस्तावेजों में गड़बड़ी बताते हुए उसे रद्द कर दिया गया. इधर हमने सूचना के अधिकार के तहत खोया हुआ आधार वापस पाने की प्रक्रिया पर प्राधिकरण से जानकारी मांगी. जवाब में उन्होंने केवल यह समझाया कि आधार कैसे पंजीकृत मोबाइल नंबर या ईमेल से वापस मिल सकता है, लेकिन वे लोग क्या करेंगे, जिनके पास पंजीकृत मोबाइल या ईमेल नहीं है? हमने फिर से जवाब मांगा कि बिना पंजीकृत मोबाइल नंबर या ईमेल के आधार कैसे ढूंढा जाए. इसका जो जवाब 12 फरवरी, 2021 को दिया गया, वह काबिले-तारीफ था- ‘यदि मोबाइल नंबर और ईमेल आधार से पंजीकृत नहीं हैं, तो निवासी अपडेट करने के लिए किसी भी स्थानीय नामांकन केंद्र पर जा सकते हैं.’ क्या उत्तरदाता को यह नहीं पता कि जब आधार नंबर ही लापता हो, तो अपडेट किसे करेंगे?
रीना के सारे दस्तावेजों और एक वकील के साथ व्योम 25 फरवरी, 2021 को पटना के आधार कार्यालय पहुंचे. वह कार्यालय भी रीना का आधार निकालने में असफल रहा, हालांकि उसके महानिदेशक ने फिर से नया आवेदन करने का सुझाव दिया. उनका अनुमान था कि शायद नये आवेदन की प्रक्रिया में कुछ जानकारी उभर आए. फिर से दिये गये नये आवेदन को 19 मार्च को डुप्लीकेट कह कर रद्द कर दिया गया. दूसरे शब्दों में, रीना को बताया जा रहा था कि उसके पास पहले से आधार है, लेकिन कैसे मिलेगा, यह नहीं पता. यह खोज सात अप्रैल, 2021 को खत्म हुई, जब रांची में आधार के एक नेक अधिकारी ने नये नामांकन संख्या से पुराना आधार खोज निकाला. उन्होंने बताया कि ऐसे मामले में उन्होंने कई लोगों की मदद की है. इससे यह भी पता चलता है कि इस समस्या का शिकार अकेले रीना देवी ही नहीं हैं.
हमारे और आपके लिए आधार कार्ड की फोटोकॉपी, मोबाइल नंबर, पंजीकृत जन्मतिथि, ईमेल, स्मार्टफोन, इंटरनेट, ओटीपी आदि आम बातें होंगी. अगर आधार नंबर खो भी जाए, तो वापस मिल जायेगा, और न भी मिले, तो जिंदगी चलती रहेगी, लेकिन रीना जैसे गरीब और वंचित परिवारों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. आधार प्राधिकरण के पास न तो कोई सरल व विश्वसनीय तरीका है और न ही कोई सार्वजनिक संबंधित जानकारी. फिर प्राधिकरण की इस कमी का खामियाजा रीना देवी जैसे लोगों को राशन और पेंशन खो कर क्यों भुगतना पड़े?
(ये लेखकों के निजी विचार हैं.)