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जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं हों बहाल

सामान्य हो रही स्थिति के बीच प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर ध्यान देने एवं इसे मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य सेवा को जारी रखा जा सके.

पिछले साल जब कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई, तो सभी संसाधनों का रुख उससे निबटने की ओर मोड़ दिया गया. इस वर्ष जनवरी में जब हालात थोड़े बेहतर होने लगे और पोलियो ड्राइव एवं नियमित टीकाकरण जैसे स्वास्थ्य सेवाओं को फिर से शुरू किया जा रहा था, तभी दुर्भाग्य से हमें दूसरी लहर का सामना करना पड़ा. अब दूसरी लहर के बाद ध्यान एक बार फिर कोविड-19 और लोगों की जान बचाने पर केंद्रित है.

बेशक यह महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें कोविड केयर से इतर अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की भी जरूरत है, जैसे कि गर्भवती माताओं को नियमित तौर पर जांच एवं प्रसव के लिए अस्पताल एवं क्लिनिक में स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता है. इसी प्रकार बच्चों को नियमित टीकाकरण एवं विशेष नवजात देखभाल इकाई सुविधा की आवश्यकता है. इसके अलावा बुजुर्गों को स्वास्थ्य जांच एवं सर्जरी सुविधा आदि की भी जरूरत है.

यह महत्वपूर्ण है कि महामारी के कारण बाधित स्वास्थ्य सेवाओं को एक बार फिर से शुरू करने में तेजी लायी जाए. महामारी के कारण स्वास्थ्य तंत्र पर बुरा असर पड़ा है. कोविड के पिछले प्रकोप के अनुभव से पता चलता है कि उस कारण आवश्यक सेवाओं पर पड़नेवाला व्यवधान प्रकोप से अधिक घातक हो सकता है. हमें कोविड-19 संक्रमण के चेन को तोड़ने के प्रयासों में तेजी लाने तथा ऐसी स्थिति दुबारा पैदा न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है.

कोविड-19 महामारी के बाद से स्वास्थ्यकर्मियों को पूरी तरीके से कोविड केयर में लगाने के बाद वैकल्पिक देखभाल सेवा को रद्द करने, ओपीडी सेवाओं को बंद करने तथा उपचार नीति में बदलाव के कारण आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच को बहुत प्रभावित किया है. इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित भौतिक पहुंच तथा वित्तीय कठिनाई ने भी सेवा को सीमित कर दिया है.

लोग भौतिक रूप से स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे संक्रमित हो सकते हैं और इसकी चपेट में आकर अपनी जान भी गंवा सकते हैं. भारत में गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव हेतु दी जानेवाली महत्वपूर्ण जीवन रक्षक सेवा दूसरी लहर में गंभीर रूप से कम हो गयी है.

भारत में हर साल 2.7 करोड़ बच्चों का जन्म होता है. कोविड-19 के कारण चिकित्सा आपूर्ति शृंखला में व्यवधान पैदा होने एवं वित्तीय तथा मानव संसाधनों पर पड़नेवाले दबाव के कारण अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं, जैसे कि प्रसव पूर्व देखभाल सेवा तथा नवजातों एवं बच्चों को दी जानेवाली गहन देखभाल सेवाएं. इसका असर हमारे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पर पड़ेगा. साल 2020 में कोविड के पहले लहर से प्राप्त आंकड़े संस्थागत प्रसव एवं बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण जैसी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान एवं गिरावट को दर्शाते हैं.

कोविड की मौजूदा उछाल, जो पिछले वर्ष की तुलना में कई गुना अधिक है, माताओं एवं बच्चों की गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा में अधिक व्यवधान पैदा कर सकती है. कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में स्वास्थ्य सेवाओं में आये इस संकट के असर से माताओं एवं बच्चों को सुरक्षित किया जाना चाहिए. हमें शिशु एवं मातृ मृत्यु को कम करने के कई वर्षों के प्रयासों एवं प्रगति को नष्ट नहीं होने देना चाहिए.

हमें टेलीमेडिसिन की क्षमता का लाभ उठाने के लिए नये तरीके अपनाने की जरूरत है. इसके अलावा, सप्लाई चेन एवं औषधालय के विकल्प को विकसित करने के साथ-साथ असंक्रमण वाले रोगों के उपचार के लिए निजी क्षेत्र एवं समुदायों को बेहतर ढंग से शामिल करने की जरूरत है. महामारी की रोकथाम के एक मुख्य भाग के रूप में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को जारी रखना महत्वपूर्ण है और हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े और इलाज की आवश्यकता होने पर गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों एवं बुजुर्गों को विशेष देखभाल और इलाज मिल सके.

आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति को बनाये रखने को लेकर हमें अपने साक्ष्य और ज्ञान के आधार को भी मजबूत करने की जरूरत है. इसके अलावा, हमें महामारी से निपटने के साथ-साथ अपने पूर्व की उपलब्धियों को बनाये रखने को लेकर नये-नये प्रयोगों को जारी रखने हेतु अपने प्रयासों में तेजी लाना चाहिए. सामान्य हो रही स्थिति के बीच प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर ध्यान देने एवं इसे मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि स्वास्थ्य सेवा को जारी रखा जा सके. कोविड-19 के प्रसार ने आपात स्थिति में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के निर्माण एवं इसे मजबूती प्रदान करने के महत्व को दर्शाया है.

हमें झारखंड में शिशु एवं मातृ देखभाल तथा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों की रक्षा के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने एवं इसकी गति एवं पैमाने को बनाये रखने की जरूरत है. हमारी चुनौती वास्तव में बहुत बड़ी है, लेकिन मुझे यकीन है कि एकजुट होकर यदि कार्य किया जाए, तो उन सभी लोगों तक आवश्यक सेवाओं की पहुंच को सुनिश्चित किया जा सकता है, जिन्हें महामारी और उसके बाद की स्थिति में खुद को स्वस्थ एवं सक्रिय रहने हेतु उपयुक्त स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने की आवश्यकता है.

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