महामारी की नयी लहर में अमेरिका
अमेरिका में इस समय सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि कुछ महीनों पहले आया डेल्टा स्ट्रेन अभी भी सक्रिय है और उसी बीच नया स्ट्रेन ओमिक्रोन आ गया है.
अमेरिका कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन जनित नयी लहर की चपेट में है. इसी कारण नये साल की शुरुआत उदासी भरी रही. बड़े समारोह या तो रद्द कर दिये गये या लोग खुद ही बाहर निकलने से कतराते रहे. आम तौर पर नये साल की पूर्व संध्या पर पटाखों की आवाज से जहां शहर गुंजायमान रहते थे, वहीं इस साल बड़े शहरों में सिर्फ रात के बारह बजे ही हल्का शोर सुनायी पड़ा.
ओमिक्रोन के तेजी से फैलने की आशंकाओं के सही साबित होने के साथ ही देश के कई इलाके अब नये मरीजों से जूझ रहे हैं. पूरे अमेरिका में औसतन हर दिन तीन लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में भर्ती होनेवालों की संख्या कम है. मार्च, 2020 की तुलना में प्रभावितों की संख्या अधिक है, पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम लोगों को पड़ी है. कई मामले ऐसे हैं, जहां वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी कोरोना हो रहा है.
हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है, उनमें गंभीर समस्याएं नहीं आ रही हैं. वाशिंगटन और न्यूयॉर्क पहले की तरह ही सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. वाशिंगटन में जहां नये प्रभावितों में आठ सौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं न्यूयॉर्क में छह सौ प्रतिशत की तेजी आयी है. ओहायो राज्य में हालात बहुत खराब हैं, जहां बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत महसूस हुई है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की मदद के लिए नेशनल गार्ड्स को बुलाना पड़ा है.
अमेरिका में अब तक 73 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की एक खुराक मिल चुकी है, जबकि 62 प्रतिशत लोग दोनों खुराक ले चुके हैं. ऐसे में कोरोना का फिर फैलना गहरी चिंता का विषय बना हुआ है. कई संस्थानों ने अपील की है कि कर्मचारी दोनों खुराकों के साथ बूस्टर डोज भी लेकर आयें. सरकारी कार्यालयों में पहले से ही नियम है कि बिना वैक्सीन के किसी को भी काम नहीं करने दिया जायेगा. कई निजी संस्थानों ने भी यह नियम लागू किया है, लेकिन अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि वैक्सीन के बाद भी अगर बीमारी हो रही है, तो इसे लेने का क्या फायदा है.
इसके जवाब में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन (सीडीसी) द्वारा जारी आंकड़े दिखाते हैं कि प्रति एक लाख लोगों में अगर पचास मामले हैं, तो बिना वैक्सीन वाले लोगों में ऐसा होने की संभावना वैक्सीन ले चुके लोगों से पांच गुना अधिक है. इसी तरह जिसने वैक्सीन ली है, अगर उसे कोरोना होता है और जिसने वैक्सीन नहीं ली है, उसे कोरोना होता है, तो बिना वैक्सीन वाले व्यक्ति के मरने की संभावना 13 प्रतिशत अधिक है.
चूंकि, अब प्रभावितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, तो कई उपायों की घोषणा की गयी है. ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने अपनी कक्षाएं दो हफ्तों के लिए ऑनलाइन कर दी हैं और छात्रों से कहा है कि वे कोरोना टेस्ट करा कर भेजें. वाशिंगटन में सरकारी अधिकारियों से कहा गया है कि वे घर पर रहकर ही काम करें और वही लोग दफ्तर आयें, जिनका आना बेहद जरूरी हो. न्यूयॉर्क में कई होटलों ने अपने बड़े हिस्से को क्वारंटीन स्थल में बदल दिया है, ताकि 2021 जैसी अफरातफरी का माहौल न बने.
हालांकि अभी तक किसी भी शहर ने रेस्टोरेंट को बंद करने या भोजन सिर्फ डिलिवरी करने जैसी शर्तें नहीं लगायी हैं, लेकिन अगर अगले दो-तीन हफ्तों में प्रभावितों की संख्या कम नहीं होती हैं, तो संभवत: ये नियम लागू हो सकते हैं. व्हॉइट हाउस ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस को भी कम करने की घोषणा की है.
डॉक्टरों के अनुसार इस लहर में सबसे अधिक कठिनाई डेल्टा और ओमिक्रोन स्ट्रेन की पहचान को लेकर हो रही है, जिसके कारण इलाज कैसे किया जाये, यह सवाल बड़ा हो गया है. डेल्टा और ओमिक्रोन के इलाज की अलग-अलग विधि है और यह जीवन-मृत्यु का सवाल बन जाता है. समस्या यह है कि फिलहाल कोई ऐसा टेस्ट नहीं है, जिससे इन दोनों वैरिएंट की अलग-अलग पहचान हो सके. अधिकारियों का कहना है कि एक टेस्ट के जरिये ओमिक्रोन की पहचान हो तो जाती है, लेकिन अगर मरीजों की संख्या अधिक हो, तो यह तरीका भी असफल हो जाता है, क्योंकि अस्पताल एक समय में एक निश्चित संख्या में ही ऐसे टेस्ट कर पाने में सक्षम होते हैं.
अमेरिका में इस समय सबसे बड़ी दिक्कत यही हो रही है कि कुछ महीनों पहले आया डेल्टा स्ट्रेन अभी भी सक्रिय है और उसी बीच नया स्ट्रेन आ गया है. देश के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग स्ट्रेन से कोरोना फैल रहा है. पिछले एक हफ्ते में अमेरिका में कोरोना का सबसे अधिक प्रभाव विमान यातायात पर पड़ा है. इस अवधि में तीन हजार से अधिक विमान सेवाएं रद्द हुई हैं और अब यात्रा से पहले कोविड के निगेटिव टेस्ट की मांग की जाने लगी है.
इससे पहले वैक्सीन का पर्चा दिखाकर यात्रा करना संभव था. दूसरी तरफ, साल की छुट्टियां खत्म होने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल बच्चों के स्कूलों को लेकर उठ रहा है. अलग-अलग राज्यों ने इस बारे में अलग-अलग बातें कही हैं.
जहां शिकागो शहर में शिक्षकों ने कहा है कि वे स्कूल नहीं जायेंगे, वहीं स्कूल प्रशासन का कहना है कि स्कूल बंद करने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है. छोटे बच्चों के स्कूल इसी हफ्ते खुलनेवाले हैं. नेवार्क, मिलवाकी और क्लीवलैंड जैसे शहरों ने फैसला किया है कि फिलहाल बच्चों के स्कूलों को ऑनलाइन ही रखा जाये. इन शहरों में साढ़े चार लाख से अधिक बच्चे स्कूल जा रहे हैं.
न्यूयॉर्क शहर में जहां तीन जनवरी को स्कूल खुले थे, वहां एक तिहाई से अधिक बच्चे स्कूल नहीं आये थे. फिलहाल अमेरिका कोरोना की नयी लहर से स्तब्ध है क्योंकि पिछले दो महीनों में जनजीवन पटरी पर लौटने लगा था. हर शहर में कुछ बड़े आयोजन होने लगे थे और लोग भी बाहर निकलने लगे थे.
हालांकि, किसी भी इमारत में जाने पर मास्क लगाना अनिवार्य था, लेकिन बाहर घूमते हुए मास्क लगाने की बाध्यता खत्म हो गयी थी. अब एक बार फिर सर्दी से जूझ रहे पूरे देश में सड़कों पर लोग कम दिख रहे हैं. जो सड़कों पर हैं, उनमें से अधिकतर मास्क पहने हुए दिखते हैं. आनेवाले दिनों में जब स्कूल खुलेंगे, तो देखना होगा कि क्या होता है क्योंकि बारह साल से अधिक की उम्र के 75 प्रतिशत से अधिक बच्चों को वैक्सीन लग चुकी है.