नया साल किताबों के साथ
झारखंड के लोगों को रामदयाल मुंडा लिखित किताब आदि धर्म पढ़नी चाहिए या फिर किसी और स्थानीय लेखक की कोई पुस्तक. बिहार के लोग भी यही कर सकते हैं.
हर नये साल में लोग नये लक्ष्य तय करते हैं. कोई व्यायाम करना तय करता है, तो कुछ लोग किताबें पढ़ना तय करते हैं. अगर समय निकाल पाएं, तो किताब पढ़ने के कई तरीके हैं. मसलन, यह तय कर लें कि हर दिन बीस या तीस पन्ने पढ़ना है या फिर हर हफ्ते एक किताब. हर हफ्ते एक किताब पढ़ने की बात भाजपा नेता वरुण गांधी ने भी की है. वे अपनी किताबों की सूची भी ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं. हालांकि, उनमें कई किताबें उन लोगों को पढ़ने में दिक्कत होगी, जो पहले से विश्व साहित्य से वाकिफ नहीं हैं.
इस साल मेरी सूची में कई ऐसी किताबें हैं, जिन्हें मैं पहले पढ़ चुका हूं और उन किताबों को दोबारा पढ़ने का मन है, विशेषकर सलमान रूश्दी की द मिडनाइट्स चिल्ड्रेन और विक्रम सेठ की ए सुटेबल ब्वॉय. नये साल की शुरुआत में भी एक किताब दोबारा पढ़ रहा हूं- बार्टल्बी एंड, जिसके लेखक हैं एनरिक विला मटास. यह किताब मूल रूप से स्पैनिश में लिखी गयी है. अगर मुझसे कहा जाए कि प्रभात खबर पढ़नेवालों के लिए मैं कौन-सी किताबें सुझाऊंगा, तो शायद मेरी सूची थोड़ी अलग होगी.
पहले वे किताबें, जिन्हें हर किसी को पढ़ना चाहिए- रामचंद्र गुहा की इंडिया आफ्टर गांधी. यह भारत की राजनीति को समझने के लिए बेहतरीन पृष्ठभूमि उपलब्ध कराती है. हाल में आयी शेखर पाठक की ‘हरी भरी उम्मीद’ पर्यावरण और पहाड़ों को समझने के लिए एक जरूरी किताब हो सकती है. अमिताभ घोष की नयी किताब नटमेग्स कर्स एक अभूतपूर्व किताब आयी है, जिसमें जायफल के व्यापार को केंद्र में रख कर यूरोपीय औपनिवेशीकरण की आलोचना की गयी है. इस किताब के लिए गहन शोध किया गया है. पर्यावरण के लिए अमिताभ घोष की किताब द ग्रेट डिरेंजमेंट भी बेहतरीन है.
अमेरिका में अंग्रेजी के प्रोफेसर और भारतीय मूल के अमिताभ कुमार की फेक न्यूज पर आयी किताब ए टाइम आउटसाइड टाइम का जिक्र करना भी जरूरी है. यह एक अनूठा उपन्यास है. पिछले साल जिन किताबों को पढ़ते हुए नयी दृष्टि मिली, उनमें सुमना राय की हाउ आइ बिकेम ए ट्री भी उल्लेखनीय है. साथ ही मेरी ऑल टाइम फेवरिट पुस्तक विल डूरेंट की द स्टोरी ऑफ फिलॉसफी भी पढ़ने योग्य है. आसान अंग्रेजी में लिखी गयी इस किताब की लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं. कहा जाता है कि इस किताब के छपने के बाद दुनियाभर में लोगों को दर्शन विषय में गहरी रुचि पैदा हुई थी.
पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रिय हुई युवाल नोवा हारिरी की तीन किताबें होमो सेपियंस, होमो डियस और ट्वेंटी लेसंस फॉर 21 सेंचुरी भी पढ़ी जा सकती हैं. अगर आप ये तीनों पढ़ चुके हों, तो डेविड ग्रेबर और डेविड वेनग्रो की किताब द डॉन ऑफ एवरीथिंग- ए न्यू हिस्ट्री ऑफ ह्यूमेनिटी पढ़ी जा सकती है.
कविताओं में मैंने इस साल तय किया है कि अरुण कोलातकर की कविताएं पढ़ी जाएं, जो मूल रूप से अंग्रेजी और मराठी में लिखा करते थे. कविताओं में टैगोर की गीतांजलि को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए. अगर नाटकों में रुचि हो, तो अमितेश कुमार की हालिया किताब वैकल्पिक विन्यास पठनीय है, जो मेरी सूची में भी है, क्योंकि अमितेश लगातार नाटक पर बहुत सुंदर लिखते रहे हैं.
हिंदी साहित्य में नयी किताबों के बारे में मेरी जानकारी कम है, लेकिन अगर आपने शम्सुर्रहमान फारूकी की किताब ‘कई चांद थे सरे आसमां’ नहीं पढ़ी है, तो उसे जरूर पढ़ा जाना चाहिए. पिछले दिनों मेरे प्रिय ट्रैवल राइटर राकेश तिवारी की पुस्तक आयी, जो सत्तर के दशक में उनके अफगानिस्तान प्रवास पर केंद्रित है. इस पुस्तक का नाम है- अफगानिस्तान से खतो खिताबत. ट्रैवलॉग में रुचि हो, तो अमृतलाल वेगड़ की नर्मदा यात्रा पर चार खंड में किताबें हैं. साथ में अनिल यादव की ‘वह भी कोई देस है महाराज’ जो पूर्वोत्तर की यात्रा पर केंद्रित है. हिमालय की यात्रा में दिलचस्पी हो, तो अजय सोडानी की दर्रा दर्रा हिमालय भी पठनीय है.
इस साल जिन किताबों का इंतजार है, उनमें अशोक पांडे की किताब बब्बन कार्बोनेट है, जिसे दिल्ली पुस्तक मेले में आना था. इसके अलावा शोधार्थी रमा शंकर सिंह का घुमंतू लोगों पर किया गया शोध भी इस साल प्रकाशित होनेवाला है, जिसे पढ़ा जाना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय लेखकों में इस साल जिन किताबों को पढ़ना मेरी सूची में है, उसमें ओल्गा तोकार्चुक की द बुक ऑफ जैकब्स और स्वेतलाना अलेक्सियेविच की चर्नोबिल शामिल है.
अंतरराष्ट्रीय लेखकों में इस साल मैं सैमुअल बेकेट को भी पढ़ना चाहूंगा और साथ ही जेम्स जॉयस की कठिन किताब उलिसिस भी, जिसके बारे में गैब्रियल गार्सिया मार्केज ने लिखा था कि ये किताब उन्हें लंबे समय तक समझ में नहीं आयी. सत्तर के दशक में जब उन्होंने मिलन कुंडेरा को पढ़ा, तब उन्हें उलिसस के बारे में और अधिक समझ में आया.
चूंकि, मैं सेंट लुईस शहर में मिसिसिप्पी नदी के किनारे रहता हूं, तो इस साल मेरी सूची में दो किताबें ऐसी हैं, जो स्थानीय विषयों से जुड़ी हैं. पहली- द ब्रोकन हार्ट ऑफ अमेरिका- सेंट लुइस एंड वायलेंट हिस्ट्री ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स. दूसरी किताब मार्क ट्वेन की द लाइफ ऑन द मिसिसिप्पी. आप इसी तर्ज पर अपने शहर या राज्य के इतिहास से जुड़ी किताबें चुन सकते हैं. झारखंड के लोगों को रामदयाल मुंडा लिखित किताब आदि धर्म पढ़नी चाहिए या फिर किसी और स्थानीय लेखक की कोई पुस्तक. बिहार के लोग भी यही कर सकते हैं.
अगर हिंदी के ये उपन्यास आपने अब तक नहीं पढ़े हों, तो ज़रूर पढ़ें. फणीश्वरनाथ रेणु के मैला आंचल और परती परीकथा, जैनेंद्र कुमार का त्यागपत्र, धर्मवीर भारती का सूरज का सातवां घोड़ा, राही मासूम रजा का आधा गांव, यशपाल का झूठा सच, श्रीलाल शुक्ल का राग दरबारी, अज्ञेय का शेखर एक जीवनी, भगवतीचरण वर्मा का चित्रलेखा, भीष्म साहनी का तमस, कृष्णा सोबती का जिंदगीनामा, मन्नू भंडारी के महाभोज और आपका बंटी पढ़ा जाने वाले उपन्यास हैं.