बीते दस नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि तमाम अड़चनों के बावजूद अब भारत का वृद्धि परिदृश्य मजबूत बन गया है. इस समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था विकास के लिए जूझ रही है, तब चालू वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.5 फीसदी की दर से विकास की संभावना बता रही है. पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क की हालिया कटौती के बाद खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रण में दिख रही है.
नीति आयोग का मानना है कि रिकॉर्ड खरीफ फसल और रबी फसल की उज्जवल संभावनाओं को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 10 फीसदी से अधिक वृद्धि संभावित है. गौरतलब है कि नौ नवंबर को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना संक्रमण में कमी, टीकाकरण में तेजी और उपभोक्ता व उद्योग की धारणा में सुधार से भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है. भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष में 10.5 फीसदी तक रह सकती है. ऐसे में इस वर्ष भारत दुनिया में सबसे अधिक विकास दर की संभावनाओं वाले देशों में चिह्नित किया जा रहा है.
नि:संदेह देश की अर्थव्यवस्था में लाभप्रद आर्थिक अनुकूलताएं उभरती दिखाई दे रही हैं. बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी, विनिर्माण और सर्विस क्षेत्र में बड़ा सुधार और कारोबारी गतिविधियों में भी बेहतरी दिख रही है. अनुमान से बेहतर राजकोषीय नतीजों, जीएसटी संग्रह, बिजली खपत एवं माल ढुलाई में उछाल से पता चल रहा है कि आर्थिक गतिविधियों में तेज सुधार हुआ है. टीकाकरण में तेजी और कोरोना संक्रमण में कमी के कारण बाजार में खरीदारी के प्रति भारी उत्साह ने मांग में जोरदार इजाफा किया है.
ग्रामीण क्षेत्र में भी बेहतरीन मांग से बाजार चमक रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप पिछले साल जो दीपावली फीकी थी, वह अब 2021 में उमंग से भरी रही है और पिछले वर्ष का ऋणात्मक जीडीपी का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है.
घरेलू निवेशकों के दम पर भारत का शेयर बाजार तेजी से उड़ान भर रहा है. पिछले एक वर्ष में भरपूर नकदी उपलब्ध होने के कारण शेयर बाजार पिछले 12 वर्ष की सबसे शानदार तेजी बताते हुए दिख रहा है. ज्ञातव्य है कि 23 मार्च, 2020 को जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह 13 नवंबर, 2021 को 60000 से अधिक की ऊंचाई पर चढ़ता दिखा.
पूरी दुनिया में इस समय भारत को निवेश अनुकूल देश के रूप में चिह्नित किया जा रहा है. पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2020-21 में इक्विटी, पुनर्निवेश आय और पूंजी सहित कुल एफडीआइ बढ़ कर 81.72 अरब डॉलर हो गया. वित्त वर्ष 2019-20 में एफडीआइ का कुल प्रवाह 74.39 अरब डॉलर रहा था.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 नवंबर को 640 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है. आज भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार रखनेवाला देश बन गया है. यह विदेशी मुद्रा भंडार देश के अंतरराष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है.
इस समय ग्रामीण बाजार में भी जोरदार सुधार का माहौल है. जहां देश के रोजगार सूचकांक ग्रामीण भारत में तेजी से रोजगार बढ़ने का ग्राफ प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक भी लगातार ऊंचाई की ओर अग्रसर हैं. कृषि क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिये गये भारी प्रोत्साहनों से देश की विकास दर में वृद्धि होगी. इससे ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा और विनिर्माण में भी सुधार होगा.
चालू फसल वर्ष 2020-21 में देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.86 करोड़ टन अनुमानित है. आगामी फसल वर्ष में इसमें और बढ़ोतरी के अनुमान प्रस्तुत हुए हैं. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कृषि एवं ग्रामीण विकास के इन नये आयामों के साथ अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए स्वामित्व योजना एक नयी आर्थिक शक्ति के रूप में दिखायी दे रही है.
विगत छह अक्तूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश के हरदा में आयोजित स्वामित्व योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होते हुए कहा था कि यह योजना गांवों की जमीन पर बरसों से काबिज ग्रामीणों को अधिकार पत्र देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनानेवाली महत्वाकांक्षी योजना है.
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल जब अक्तूबर, 2008 में राज्य के राजस्व मंत्री थे, तब उनके द्वारा गृह जिले हरदा के दो गांवों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से ग्रामीणों को उनकी जमीनों का मालिकाना सौंपा गया था, उससे उन गांवों में आर्थिक सशक्तीकरण के सुकूनदेह परिणाम प्राप्त हुए थे. ऐसे में देशभर के गांवों में स्वामित्व योजना के लागू होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति दिखाई दे सकेगी.
डिजिटल मिशन आम आदमी और अर्थव्यवस्था की शक्ति बनते जा रहे हैं. पिछले माह शुरू हुआ 64 हजार करोड़ रुपये के निवेश योजना वाला आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन देश के करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य की खुशहाली का आधार बन सकता है. पिछले महीने ही भारत ने कोरोना टीकाकरण की 100 करोड़ खुराक देने का आंकड़ा छुआ, जो टीकाकरण की ऐतिहासिक सफलता को इंगित करता है. हमें उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार देश में टीकाकरण कार्यक्रम को और तेज करने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी.
हम उम्मीद करें कि सरकार आम लोगों की खुशियां बढ़ाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना की पीठ द्वारा 16 नवंबर को की गयी टिप्पणी के मद्देनजर देशभर में भूखे, बेघर और असहाय लोगों के लिए सामुदायिक रसोई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रूप से आगे बढ़ेगी. हम उम्मीद करें कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए जहां अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के प्रोत्साहनों को जारी रखेगी और वस्तुओं की ऊंची कीमतों और कच्चे माल की कमी के मुद्दों से रणनीतिक रूप से निबटेगी, वहीं वर्ष 2021 में कोरोना की चुनौतियों के मद्देनजर घोषित विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के कारगर क्रियान्वयन की डगर पर दृढ़ता से आगे बढ़ेगी.