उद्यम विस्तार पर जोर
जीडीपी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र की हिस्सेदारी अभी 30 फीसदी है. करीब 6.30 करोड़ इन उद्यमों में गैर-कृषि कार्यबल के 40 प्रतिशत भाग को रोजगार प्राप्त है.
आत्मनिर्भर भारत के संकल्प में छोटे और मझोले उद्यमों के विकास के लिए कुछ समय से सरकार की ओर से अनेक पहल किये गये हैं. इस कड़ी में भारत के लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने ऐसे उद्यमों को स्थानीय और वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जोड़ने के लिए दीर्घकालिक उपायों की घोषणा की है. यह बैंक छोटे व मझोले उद्यमों को आधुनिक बनाने, कौशल बढ़ाने, उत्पादन क्षमता को बेहतर करने आदि में सहयोग करता है.
इस प्रयास में सिडबी ने ऐसे उद्यमों के क्लस्टर के विकास की रणनीति तैयार की है. इसके तहत छह सौ से अधिक कलस्टरों को सहयोग देने की क्षमता है. सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र की हिस्सेदारी अभी 30 फीसदी है, जिसे 40 फीसदी करने की दिशा में सरकार प्रयासरत है. हमारी अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र के महत्व को समझने के लिए यह तथ्य पर्याप्त है कि करीब 6.30 करोड़ इन उद्यमों में गैर-कृषि कार्यबल के 40 प्रतिशत भाग को रोजगार प्राप्त है.
इसका अर्थ यह है कि इस क्षेत्र में 11 करोड़ से अधिक लोग सेवारत हैं. सेवा और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में इन उद्यमों का योगदान क्रमशः लगभग 25 और 33 फीसदी है. बीते डेढ़ साल से जारी कोरोना महामारी के कहर का सबसे अधिक असर भी छोटे और मझोले उद्योगों को हुआ है. अब जब अर्थव्यवस्था एक बार फिर बढ़त की ओर अग्रसर है, तो इसमें इस क्षेत्र की भूमिका उल्लेखनीय है. आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत छोटे और मझोले उद्यमों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के साथ-साथ नियमों में भी आवश्यक संशोधन किये गये थे.
इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस क्षेत्र के विकास के लिए 15,700 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की थी. बजट में इस क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व मशीन लर्निंग को बढ़ावा देने का उल्लेख भी था. सिडबी की योजनाओं में भी अत्याधुनिक तकनीक पर जोर है. इससे उत्पादकता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी और रोजगार की गुणवत्ता में भी बेहतरी आयेगी. गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या से भी छोटे और मझोले उद्यम प्रभावित हैं. इसके लिए सरकार ने एक अलग ढांचा बनाने का फैसला किया है.
कुछ समय पहले रिजर्व बैंक ने भी पुनर्संरचना पहल के तहत कर्जों की सीमा को 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये करने की घोषणा की थी. छोटे उद्योगों के विकास के लिए बने बैंक के लिए रिजर्व बैंक ने 16 हजार करोड़ रुपये की विशेष सुविधा भी प्रदान की है. ऐसी पहलों से छोटे और मझोले उद्यमों में नये उत्साह के संचार की उम्मीद है, जो महामारी की वजह से धीमी पड़ गयी है. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्यात बढ़ाने का आह्वान किया है. छोटे व मझोले उद्यमों का विस्तार बड़े उद्योगों के लिए भी अहम है. ऐसे में वैश्विक बाजार में भी यह क्षेत्र बड़ा योगदान दे सकता है.