17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेहतर हो स्वास्थ्य सेवा

एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर के शहरों में सरकार के अपने निर्धारित नियमों से भी लगभग 40 फीसदी सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है.

देश के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों की बड़ी कमी है. लेकिन शहरी क्षेत्र में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर के शहरों में सरकार के अपने निर्धारित नियमों से भी लगभग 40 फीसदी सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ता है और दस गुने से भी अधिक खर्च कर निजी अस्पतालों में उपचार कराना पड़ता है.

शहरों में जो सरकारी अस्पताल हैं, उनमें से अधिकतर गरीब बस्तियों और झुग्गी-झोपड़ी वाले जगहों से दूर बने हुए हैं. इससे भी गरीब आबादी को असुविधा होती है. इस अध्ययन में पाया गया है कि सबसे अधिक गरीब लोग भी गर्भस्थ शिशु के जन्म के लिए निजी अस्पतालों का रुख करते हैं. अनेक शोध इंगित कर चुके हैं कि हमारे देश में स्वास्थ्य के मद में सार्वजनिक खर्च बहुत कम होने के कारण उपचार का भार लोगों की जेब पर पड़ता है.

आकलनों की मानें, तो 70 फीसदी से अधिक खर्च लोगों को करना पड़ता है. भारत की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा निम्न आय वर्ग और निर्धन तबके से है. निजी अस्पतालों की महंगी चिकित्सा की वजह से लाखों लोग हर साल गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरों में भी गरीब लोग अक्सर रोगों के शुरुआती लक्षणों को या अनदेखा कर देते हैं या फिर किसी नीम हकीम या झाड़-फूंक करनेवालों के चक्कर में फंस जाते हैं.

ऐसा करने से बीमारी बाद में कई बार गंभीर रूप धारण कर लेती है. सुविधाहीन बस्तियों में रहने, स्वच्छ पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं होने तथा पर्याप्त पोषण नहीं मिलने से बीमारियों के पनपने जैसी स्थितियां बनती हैं. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के इस शोध में यह भी रेखांकित किया गया है कि शहरी क्षेत्र के सबसे धनी लोगों की तुलना में गरीब पुरुषों और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा भी क्रमश: 9.1 और 6.3 साल कम है.

संतोष की बात है कि केंद्र सरकार ने आगामी कुछ वर्षों में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च को लगभग दोगुना बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पादन का 2.5 फीसदी तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. स्वच्छ जल की आपूर्ति, शौचालयों की व्यवस्था, उचित पोषण मुहैया कराने जैसे काम भी तेजी से चल रह रहे हैं. आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था भी है.

इसके अलावा, बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं ताकि डॉक्टरों, नर्सों आदि की कमी को पूरा किया जा सके. सस्ती दरों पर दवा मुहैया कराने की योजना भी चलायी गयी है. राज्य सरकारें भी प्रयासरत हैं. उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और मिशन के जरिये आगामी वर्षों में स्थिति में बहुत सुधार हो सकेगा. इस संबंध में सरकारों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि स्वास्थ्य केंद्र गरीबों की बस्तियों के करीब हों.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें