15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चिंताजनक प्रदूषण

हमारे देश में 132 ऐसे शहर हैं, जहां प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से नीचे है. दुनिया के 10 सबसे अधिक प्रदूषित बड़े शहरों में से नौ भारत में हैं.

भारत के कई शहरों में वर्ष के अधिकांश समय वायु प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है, पर ठंड के मौसम में यह समस्या गंभीर हो जाती है. बीते रविवार को मुंबई, दिल्ली और अहमदाबाद समेत 30 से ज्यादा शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ के बीच रहा. इससे जाहिर है कि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय कारगर नहीं हो पा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि दुनिया के 10 सबसे अधिक प्रदूषित बड़े शहरों में से नौ भारत में हैं.

यदि इस सूची को लंबा करते हुए 30 तक किया जाए, तब करीब 20 भारतीय शहर उसमें आ जाते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद कई राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्थिति की नियमित निगरानी नहीं कर रहे हैं. अधिक आबादी के देशों की तुलना में हमारे यहां आबादी के अनुपात में वायु गुणवत्ता मापनेवाले यंत्रों की संख्या भी कम है. देश में ऐसे यंत्रों की तादाद 1600 से 4000 के बीच होनी चाहिए, लेकिन सितंबर, 2021 तक केवल 804 निगरानी यंत्र ही उपलब्ध थे.

इनमें से केवल 261 यंत्रों की माप ही नियमित रूप से केंद्रीय डाटाबेस में दर्ज की जाती है. अगर ठीक से आकलन हो, तो शायद अधिक चिंताजनक तस्वीर हमारे सामने आयेगी. प्रदूषण के लिए जिम्मेदार तत्वों की जानकारी भी ठीक से नहीं मिल पाती है. नियमों के मुताबिक, नियंत्रण केंद्रों पर सालभर में 104 दिनों की स्थिति का आकलन किया जाना चाहिए, पर अनेक सर्वेक्षणों में पाया गया है कि कुछ केंद्रों पर 50 से 75 दिनों का डाटा ही दर्ज किया जाता है.

देश को ऐसे 1500 केंद्रों की जरूरत है. जिस प्रकार शहरों का विस्तार हो रहा है और नये-नये उपनगर बसाये जा रहे हैं, उससे ग्रामीण इलाके भी शहरी बस्तियों के करीब आने लगे हैं. साथ ही, गांवों में भी विकास की गति तेज हुई है. इस कारण ग्रामीण भारत की आबोहवा पर भी असर हो रहा है. ऐसे में सही स्थिति की जानकारी के लिए उन इलाकों में भी नियमित निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए.

केंद्र और राज्य सरकारों ने वायु प्रदूषण की समस्या की गंभीरता का संज्ञान लिया है, पर इसके समाधान के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है. वर्ष 2019 में जब राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी, तब देश में 102 ऐसे शहर थे, जहां प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से नीचे था. अब ऐसे शहरों की संख्या 132 हो चुकी है. हाल में सरकार ने कुछ अन्य प्रयासों की घोषणा की है.

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की प्रक्रिया में स्वच्छ ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है. निर्माण कार्यों और औद्योगिक गतिविधियों में नयी तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. राज्य सरकारों को अपनी कोशिशों का विस्तार करना चाहिए. प्रदूषण पर अंकुश लगाकर हम स्वास्थ्य सेवा के दबाव को कम करने के साथ कार्य बल की क्षमता और जीवन प्रत्याशा भी बढ़ा सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें