16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

व्यापक टीकाकरण

अधिक संख्या में टीकाकरण होने से लोग संक्रमण होने पर भी गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ रहे हैं और अस्पतालों पर दबाव भी कम पड़ रहा है.

कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज बढ़ोतरी के बीच यह बेहद उत्साहजनक है कि 70 फीसदी वयस्कों को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है. साथ ही, 93 फीसदी अधिक वयस्क वैक्सीन की कम से कम एक खुराक ले चुके हैं. एक साल पहले मध्य जनवरी से भारत में टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी, जो दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा अभियान है. देश में निर्मित दो टीकों के साथ इस अभियान ने एक साल में लंबी दूरी तय की है.

इस अवसर पर एक विशेष डाक टिकट जारी करना अभियान का उचित सम्मान है. हालांकि प्रारंभ में आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं और फिर कोरोना की दूसरी भयावह लहर की वजह से कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन बाद में स्थिति में सुधार आया और आज किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है. पहले मुश्किलों का आना स्वाभाविक भी था, क्योंकि न केवल भारत में, बल्कि दुनिया में कहीं भी ऐसे बड़े पैमाने पर एक अरब से अधिक आबादी को टीका देने का कोई अनुभव नहीं था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले से ही मुफ्त में टीका देने की घोषणा कर दी थी. साथ ही, निजी अस्पतालों को भी निर्धारित शुल्क के साथ खुराक देने की अनुमति दी गयी थी. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों तथा निजी अस्पतालों के बीच सामंजस्य स्थापित करना था, ताकि उपलब्धता सुचारु रूप से बनी रहे. राज्य सरकारों को भी टीका केंद्रों को स्थापित करना था. भारत शुरू से ही देश में बने टीकों को अन्य देशों को भी मुहैया करा रहा है.

आज टीकों की लगभग 157 करोड़ खुराक दी जा चुकी है. यदि कुछ लोगों ने पहले हिचक नहीं दिखाई होती या टीकाकरण को लेकर लापरवाह रवैया नहीं अपनाया होता, तो आज यह संख्या कहीं अधिक होती. उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के नये-पुराने वैरिएंट से ठोस बचाव वैक्सीन से ही हो सकता है. इसलिए हमें उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिन्होंने अभी कोई खुराक नहीं ली है.

कुछ दिन पहले ओमिक्रॉन के संक्रमण को लेकर हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पर जोर दिया है. उनकी घोषणा के अनुरूप 15 से 18 साल के किशोरों को भी टीका दिया जा रहा है. साथ ही, महामारी से जूझ रहे अग्रिम पंक्ति के कर्मियों तथा बुजुर्गों को बूस्टर डोज भी दिया जा रहा है. इनके लिए पंजीकरण की बाध्यता भी नहीं है.

जिस तरह से टीकाकरण अभियान सफलता की ओर अग्रसर है, उसके लिए हमें टीका निर्माण में लगे लोगों तथा चिकित्साकर्मियों का आभारी होना चाहिए. यदि कुछ देशों को छोड़ दें, तो अनेक विकसित देशों से हमारा टीकाकरण अभियान बेहतर रहा है. अधिक संख्या में टीकाकरण होने से लोग संक्रमण होने पर भी गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ रहे हैं और अस्पतालों पर दबाव भी कम पड़ रहा है. इसलिए ध्यान रहे कि अभियान में कोई ढील न आने पाए और सबको खुराक मिले.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें