व्यापक सुधार की ओर

मौद्रीकरण नीति के तहत परिसंपत्तियां निजी कंपनियों को लीज पर दी जा रही हैं. इससे स्वामित्व भी सरकार के पास रहेगा और अधिक आय भी होगी.

By संपादकीय | August 25, 2021 1:56 PM
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केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों के क्रम में बड़े पैमाने पर सरकारी परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण का निर्णय लिया है. इसके तहत परिसंपत्तियों को एक निश्चित अवधि के लिए निजी क्षेत्र को दिया जायेगा, लेकिन उनका मालिकाना सरकार के पास ही रहेगा. इस योजना से आगामी चार-पांच वर्षों में सरकार को छह लाख करोड़ रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है.

इस आमदनी को सरकार अपने पूंजी व्यय में जोड़कर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करेगी. मौद्रीकरण की योजना लंबे समय से विचाराधीन थी और इसमें उन परिसंपत्तियों को चिन्हित किया गया है, जो या तो बिना उपयोग के पड़ी हुई हैं, या उनसे कम आय होती है या फिर निजी क्षेत्र को देने से उनकी उपयोगिता में बढ़ोतरी हो सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उचित ही कहा है कि भारत को यह समझना चाहिए कि अपनी परिसंपत्तियों से अधिकाधिक कमाई सुनिश्चित करने का समय आ गया है.

कुछ समय पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया था. हालांकि इसे साकार करने की राह में कोरोना महामारी एक बड़ी बाधा बनकर आयी है, लेकिन मौजूदा स्थिति से हम जल्दी ही उबरकर फिर से तेज गति से बढ़ोतरी करनेवाली अर्थव्यवस्था बन जायेंगे. अर्थव्यवस्था के विकास के लिए निरंतर सुधारों की दरकार है.

बीते कुछ वर्षों में नीतिगत स्तर से लेकर योजनाओं की रूप-रेखा तक कई उल्लेखनीय पहलें हुई हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम कराधान, निवेश, निर्यात, उत्पादन, वित्त उपलब्धता, विवादों के शीघ्र निपटारे, व्यापार की सुगमता आदि के रूप में हमारे सामने हैं. प्रधानमंत्री मोदी लगातार रणनीतिक विनिवेश पर जोर देते रहे हैं. इस दृष्टिकोण के आधार पर आर्थिक विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं.

सरकार अपना ध्यान विभिन्न कारोबारों को संचालित करने से हटाकर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने तथा कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार करने पर केंद्रित कर रही है. आर्थिक सुधारों के तहत अनेक क्षेत्रों में निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन मौद्रीकरण नीति इससे अलग है. इसके तहत परिसंपत्तियां निजी कंपनियों को बेचने की जगह लीज पर दी जा रही हैं. इससे स्वामित्व भी सरकार के पास रहेगा और इनसे अधिक आय भी अर्जित की जा सकेगी.

इसके अलावा इस प्रक्रिया से बड़ी संख्या में रोजगार और कारोबार के अवसर भी पैदा होंगे. राजस्व में संकुचन और आवश्यक व्यय के कारण सरकार बड़े पैमाने पर निवेश नहीं कर सकती है. विकास के लिए निजी पूंजी निवेश जरूरी है. चालू वित्त वर्ष के बजट में परिसंपत्तियों की लीज से मार्च, 2022 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये हासिल होने का आकलन है. महामारी के कारण कर संग्रहण में हुई कमी की भरपाई इससे होगी. जिन क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किया गया है, उनमें कार्यरत लोगों का भविष्य को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है. इस पर ध्यान देने के साथ सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आम जनता पर किसी तरह का बोझ न बढ़े.

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